Chrome browser: जब हमें किसी चीज के बारे में जानकारी लेनी होती है तो हम झट से किसी भी ब्राउज़र पर जाते हैं और अपना सवाल टाइप करते हैं, इसके कुछ ही सेकंडों में हमारे पास अनेकों जवाब होते हैं लेकिन कई बार हम फर्जी या अनसिक्योर वेबसाइट (unsecure websites) के झमेले में भी फंस जाते हैं क्योंकि हमें सिक्योर वेबसाइट्स (secure websites) की पहचान ही नहीं होती है। जिसका खामियाजा कई बार बहुत बड़ा हो जाता है। हालांकि, कभी आपने नोटिस किया हो तो वेबसाइट के यूआरएल के पास एक ताले का निशान दिखाई देता है क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर ये क्यों होता है। आज के इस लेख में हम इसी का मतलब बताने वाले हैं। इस लेख को पढ़कर आप सिक्योर और अनसिक्योर साइट्स की भी चुटकियों में पहचान कर पाएंगे।
इसलिए होता है ताले का निशान
जो ब्राउजर हम इस्तेमाल कर रहे हैं उसकी निजता बहुत मायने रखती है क्योंकि जब आपका सर्चिंग ब्राउजर ही सेफ नहीं होगा तो आप किसी भी फ्रॉड का शिकार बन जाएंगे। ये ताले का निशान ही सुनिश्चित करता है कि आप जिस वेबसाइट पर विजिट कर रहे हैं। वह HTTPS (हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल सिक्योर) के मानकों पर खरा उतर रही है या नहीं, HTTPS एक तरह का प्रोटोकोल होता है जो साइट और यूजर के बीच होने वाली एक्टिविटीज को एन्क्रिप्ट करता है यानी आप जो भी सर्च कर रहे हैं वह आपके और साइट के अलावा किसी को नहीं पता चलेगा।
तस्वीर से समझें पूरा खेल
नीचे आपको जो तस्वीर दिख रही है, उसमें देखा जा सकता है एक HTTPS के आगे लॉक का निशान नहीं आ रहा है जबकि नीचे वाले के नीचे लॉक या ताले का निशान आ रहा है। इसका मतलब है कि जहां ताले का निशान नहीं आ रहा है वहां आपका डेटा सुरक्षित नहीं है। इसमें आपकी सेंसेटिव इन्फॉर्मेशन हो सकती है। जैसे- लॉगिन क्रेडेंशियल्स, पर्सनल इंफॉर्मेशन या पेमेंट डिटेल उन्हें आसानी से इंटरसेप्ट नहीं किया जा सकता, अगर हां आप किसी ऐसी साइट पर ये सब चीजे दे रहे हैं जिसके आगे लॉक का निशान नहीं होता है तो वहां रिस्क बढ़ जाता है।
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ध्यान रखें ये बात
आपको यहां ध्यान रखने वाली बात है कि ये निशान सिर्फ कनेक्शन सिक्योर होने को इंडीकेट करता है न कि वेबसाइट की वैधता या विश्वसनीयता की गारंटी देता है। ऐसे में जब भी किसी साइट पर विजिट करें तो उसकी विश्वसनीयता को परख लें और तभी उसका इस्तेमाल करें।
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