USB Type-C Charger: आजकल स्मार्ट गैजेट कम्पनियां फोन,लैपटॉप और टैबलेट की चार्जिंग के लिए अलग अलग डिजाइन के अपने चार्जर देती हैं. जिसके कारण लोगों को अलग – अलग चार्जर रखने पड़ते हैं, जिससे खर्च भी बढ़ता है और असुविधा भी बढ़ती है. इसी समस्या को देखते हुए भारत सरकार ने कहा कि भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने तीन इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस – डिजिटल टेलीविजन रिसीवर, यूएसबी टाइप-सी चार्जर और वीडियो सर्विलांस सिस्टम (VSS) के लिए क्वालिटी स्टैंडर्ड पेश किए हैं.
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बीआईएस का कहना है कि इसका उद्देश्य देश में बेचे जाने वाले स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए सामान्य चार्जिंग समाधान प्रदान है. जिससे सिर्फ यूएसबी टाइप-सी यूनिवर्सल चार्जिंग पोर्ट से ही दूसरे सभी डिवाइस को भी चार्ज कर सकते हैं.
इस संबंध में उपभोक्ता मामले मंत्रालय के सेक्रेटी रोहित कुमार सिंह ने बताया कि मार्च 2025 तक इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स के लिए स्टैंडर्ड चार्जिंग पोर्ट के रूप में यूएसबी टाइप-सी अपनाने के लिए कंपनियां तैयार हैं. कुछ समय बाद प्रत्येक डिवाइस का एक यूएसबी पोर्ट होने के बाद ग्राहकों को कई तरह चार्जर नहीं खरीदने पड़ेंगे.
10 जनवरी साल 1974 में जन्में रितिक रोशन(Hrithik Roshan) आज अपना 49वां जन्मदिन मना रहे हैं.उन जन्मदिन पर आइएजानते हैं उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से-
रितिक रोशन से जुड़े दिलचस्प किस्से –
रितिक को बचपन में हकलाने की समस्या थे. जब स्कूल में मौखिक परीक्षा होती थी,तब रितिक बहाने बनाकर स्कूल नहीं जाते थे. स्पीच थैरेपी के जरिये उन्होंने अपनी इस समस्या पर छूटकारा पाई.
अभिनेता रितिक रोशन का परिवार फिल्मों से जुड़ा है. उनके दादा रोशन संगीतकार थे. पिता राकेश रोशन अभिनेता, निर्माता और निर्देशक हैं. चाचा राजेश रोशन संगीतकार हैं. नाना जे. ओमप्रकाश फिल्म निर्माता और निर्देशक थे.
अभिनेता रितिक रोशन पहली बार परदे पर 1980 में रिलीज हुई फिल्म “आशा” में नजर आए थे. यह फिल्म उनके नाना ने बनाई थी और उस समय रितिक मात्र 6 वर्ष के थे.
अभिनेता रितिक रोशन को उनके नाना और पिता अपनी फिल्मों के लिए भाग्यशाली मानते थे, इसलिए रितिक बतौर बाल कलाकार छोटे-मोटे रोल किया करते थे.
एक्टर धर्मेन्द्र के रितिक रोशन बहुत बड़े फैन हैं. बचपन में अपने वॉर्डरोब में उन्होंने धर्मेन्द्र का पोस्टर लगा रखा था. ब्रेन सर्जरी के बाद सबसे पहले उन्होंने धर्मेन्द्र से ही फोन पर बात की थी.
अभिनेता रितिक रोशन लड़कियों में बेहद लोकप्रिय हैं. एक बार तो वैलेंटाइन डे पर उन्हें 30 हजार शादी के प्रस्ताव मिले थे.
अभिनेता रितिक रोशन के दो अंगूठों के कारण “कोई मिल गया” में जादू नामक एलियन के भी दो अंगूठे दिखाए गए थे.
अभिनेता रितिक रोशन बेहद दुबले थे और सलमान खान के कहने पर उन्होंने जिम जाकर शरीर पर ध्यान दिया.
TVS Metro Plus 110 Launch: टीवीएस मोटर ने नए साल के शुरुआत में ही अपने ग्राहकों के लिए TVS Star City Plusका रीबैज्ड वर्जन TVS Metro Plus 110का नया अपडेडेड वर्जन मार्केट में लॉन्च कर दिया है. जिसमे यूएसबी चार्जिंग पोर्ट, एलईडी हेडलैंप्स, डुअल-टोन कलर्स में उपलब्ध है. तो चलिए बिना देर किए इस नए किफायती बाइक के खासियत,फीचर्स के बारे में जानते हैं.
क्या है TVS Metro Plus 110 की खासियत
कंपनी ने इस बाइक में पांच मैनुअल गियरबॉक्स के साथ 109.7 सीसी का सिंगल सिलेंडर फोर स्ट्रोक एयर कूल्ड इंजन दिया है जो 5000rmpपर 8.7 Nm और 7500rpm पर 8.29bhp का पीक टॉर्क जेनरेट करता है.वही इसके ब्रेकिंग सिस्टम की बात करे तो, इस मोटरसाइकल में फ्रंट पर डिस्क और ड्रम यूनिट और रियर में कंपनी ने ग्राहकों के लिए ड्रम ब्रेक का ऑप्शन से लैस है.वही इसके माइलेज की बात की जाए तो यह बाइक 86km का माइलेज देने में सक्षम है.
प्राइस (Price)
कंपनी द्वारा इस बाइक की कीमत 1.25 लाख Taka एक्स शोरूम (बांग्लादेशी करेंसी) तय की गई है,जिसका भारतीय मूल्य लगभग 1 लाख रुपए है.
First Made In India 5G Smartphone: अभी तक भारत के स्मार्टफोन बाजार पर पूरी तरह से चाइनीज स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों का कब्जा है. लेकिन जल्द ही भारत का इलेक्ट्रॉनिक ब्रांड Mivi चाइनीज कंपनियों के इस अधिपत्य को खत्म कर सकती है. जी हां उम्मीद की जा रही है ये स्वदेशी कम्पनी भारत का पहला Made in India 5G स्मार्टफोन लॉन्च कर सकती है. हालांकि यह कंपनी अभी साथ स्मार्टफोन के पार्ट्स को भी बाहर से मंगा कर उन्हें असेंबल करती है.
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भारत में ही होगा सब कुछ
इलेक्ट्रॉनिक ब्रांड Mivi के आने वाले स्मार्टफोन को भारत में ही तैयार किया जाएगा. इस फोन की डिजाइनिंग, असेंबलिगं और मैन्युफैक्चरिंग सब कुछ भारत में ही होगा. कंपनी के अनुसार उन्होंने पहले स्मार्टफोन को बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. इसके रिसर्च वर्क पर काम चल रहा है. आने वाले कुछ समय में इन्हें लॉन्च कर दिया जाएगा.
उम्मीद की जा रही है कम्पनी बजट स्मार्टफोन से अपनी शुरुआत कर सकती है. और इन स्मार्टफोन में कम बजट में ज्यादा फिचर्स दिए जा सकते हैं. देश में 5 G सर्विस को लॉन्च कर दिया गया है जिसके बाद देश इस 5G फोन को लोग हाथों हाथ लेंगे.
Economy Impact : पिछले 3 सालों से पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है. जिसका असर देश के अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है.एक तरफ जहां पूरी दुनिया अर्थव्यवस्था की मार झेल रहा है, वही दूसरी तरफ हेल्थ सेक्टर को मजबूत करने में सभी देशों को काफी खर्च उठाना पड़ा हैं. भारत और चीन की तुलना में चीन सबसे अधिक घरेलू कर्ज में डूबा हुआ है.वही भारत घरेलू कर्ज से बाहर है.साथ ही भारत के साथ सिंगापुर और इंडोनेशिया की स्थिति भी बेहतर है.इन देशों में घरेलू खर्च कम लागत पर है.
इसके विपरित ऑस्ट्रेलिया, हॉन्ग कॉन्ग जैसे देशों में स्थिति उलट दिखाई दे रही हैं. वहां घरेलू कर्ज जीडीपी के 100% को पार कर चुका है. मलेशिया, थाइलैंड जैसे देशों में भी घरेलू कर्ज सबसे अधिक है. इसलिए वहां बढ़ती महंगाई में ब्याज दरें बढ़ेगी.बता दे कि, देश में महंगाई अपने चरम पर है,लेकिन भारत पर इमर्जिंग इकोनॉनी (Emerging economy) में कर्ज बहुत कम है,इसलिए भारत पर ज्यादा ब्याज दरें नहीं बढ़ाई जाएगी.वही जिन देशों पर कर्ज अधिक है, उन देशों के ऊपर ब्याज दरें बढ़ाई जाएंगी.
Emerging economy list
देश(Country)
घरेलु कर्ज(Domestic/Home loan)
सरकारी कर्ज(Government Loan)
कॉरपोरेशन कर्ज(Corporation Loan)
भारत (India)
50 से कम
200 से कम
100 से कम
चीन (China)
50 फीसदी से अधिक
270 से अधिक
200 से अधिक
थाईलैंड (Thailand )
70 से अधिक
200 से अधिक
150 से अधिक
इंडोनेशिया (Indonesia)
30 से कम
100 से कम
50 से कम
मलेशिया (Malaysia)
60 फीसदी से अधिक
200 फीसदी
130 से अधिक
आंकड़े
भारत में उत्पन्न होंगे रोजगार के अवसर
जमीनी स्तर पर हुए काम भारत के निवेश क्षेत्र का बेहतर उदाहरण है.आंकड़ों के मुताबिक, पीएलआई स्कीम(PLI Scheme) से इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में भारत के निवेश में बढ़ोतरी हुई है. 2021 में निर्यात 50% बढ़कर 1.15 लाख करोड़ रुपए रहा है. यह 2022 के 9 महीनों में ही इस स्तर पर पहुंच गया. वहीं एपल आईफोन का मुख्य सप्लायर फॉक्सकॉन चीन से अपनी यूनिट भारत ला रहा है.साथ ही, भारत को जी-20 की अध्यक्षता मिलने और ऑस्ट्रेलिया व यूके से व्यापार समझौतों से भी निवेश में बढ़ोतरी होंगे.जिससे देश में रोजगार के अवसर पैदा होंगे.
अन्य देशों की स्थिति होगी खराब
रिपोट्स के मुताबिक इस बार दक्षिण-पूर्व एशिया में सियासी अनिश्चितता बनी रहेगी तो वही थाईलैंड में इसी वर्ष चुनाव का माहौल बना है. जिसके लिए कंपनी चीन पर निर्भर रहने के बजाय अन्य देशों की ओर रुख करना चाहते हैं जिसमे भारत भी शामिल है. वहीं उच्च ब्याज दरों के कारण एशिया में आर्थिक माहौल चुनौती भरा रहेगा. वहीं अधिक घरेलू कर्ज होने के कारण ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया की वृद्धि में कमी आयेगी.
Fungal infection: फंगल इंफेक्शन को दिखाने के लिए हम डॉक्टर का रुख नहीं करते.बल्कि शर्म की वजह से हम खुद ही इलाज करने लगते हैं. किसी मेडिकल स्टोर से पाउडर ले आएंगे और सोचेंगे की ठीक हो गया.पर जरा रुकिए, ये आपके लिए खतरे की घंटी है.बीमार होने पर तो हम डॉक्टर के पास जाते हैं पर इंफेक्शन होने पर डॉक्टर के पास जाने से कतराते हैं.लेकिन आपको अपनी ये सोच बलदनी होगी.बता दें कि देश की आधी से ज्यादा आबादी फंगल इंफेक्शन से जूझ रही है.इतना ही नहीं इनमें से कई इंफेक्शन जानलेवा भी साबित हो सकते हैं.
हर साल लाखों लोग ऐसे इंफेक्शन के शिकार होते हैं.लेकिन समस्या ये है लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते. जबकि स्टडी करने वाले एम्स और चंडीगढ़ पीजीआई की टीम का मानना है कि, फंगल इंफेक्शन भारत में पब्लिक हेल्थ के लिए बहुत बड़ा खतरा है. इसलिए जरूरी है कि इसे लेकर लोगों को सतर्क किया जाए, ये स्टडी भारत के तीन अस्पतालों ने की है जिसमें एम्स,पश्चिम बंगाल के कल्याणी और चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर और मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के रिसर्चर शामिल थे.
Fungal infection(credit:google)
क्या कहती है रिपोर्ट
भारत में 5 करोड़ 70 लाख लोग गंभीर फंगल इंफेक्शन से प्रभावित हैं,करीब 4.4% आबादी को गंभीर इंफेक्शन है.सीधे शब्दों में हर 100 में 4 आदमी किसी ना किसी फंगल इंफेक्शन का शिकार है.यानी टीबी के मरीजों से 10 गुना ज्यादा लोगों को फंगल इंफेक्शन है.कहने की जरूरत नहीं कि ये आंकड़ा डराने वाला है.
लंग्स और साइनस में होने फंगल इंफेक्शन(Fungal infection) को मौत के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार माना गया है.इससे ढाई लाख लोग जूझ रहे हैं.17 लाख से ज्यादा लोगों को रेस्पिरेटरी सिस्टम में इंफेक्शन है.जो जानलेवा साबित हो सकता है.इसी तरह 10 लाख से ज्यादा लोगों को फंगल आई डिजीज है.जिसकी वजह से अंधापन तक हो सकता है. कुछ इंफेक्शन जानलेवा तो नहीं हैं लेकिन उनसे बड़ी समस्या हो सकती है.सिर की त्वचा पर होने वाले इंफेक्शन से स्कूली बच्चे परेशान हैं.इसमें दर्द होने के साथ बच्चे के बाल तेजी से झड़ रहे हैं.
लापरवाह हैं लोग !
लेकिन उससे ज्यादा चिंता की बात ये है कि इस संकट से ज्यादातर लोग अंजान हैं.बाहरी त्वचा पर होने वाला इंफेक्शन लोगों की समझ में आ भी जाए तब भी बहुत कम लोग ही डॉक्टर के पास जाते हैं.घरेलू नुस्खों या मेडिकल स्टोर से कोई क्रीम लेकर उसके ठीक होने का इंतजार नहीं करे.इसीलिए बहुत जरूरी है कि आप अलग-अलग तरह के फंगल इंफेक्शन के बारे में जानें और इसकी गंभीरता को समझें.
Racer Death: ये पूरा मामला चेन्नई का है.जहां एक कार रेसर की मौत हो गई.ये हादसा रेसिंग के दौरान हुआ. रेसिंग के दौरान उनकी कार हादसे का शिकार हो गई. हादसे को देख वहां मौजूद लोग दंग रह गए. एकाएक लोगों को समझ नहीं आया कि आखिर हुआ क्या. हालांकि कार रेसिंग में ऐसे हादसे पहले भी होते रहे हैं लेकिन इस हादसे ने लोगों को हिला दिया है. रेसर के ई कुमार के साथ हुए हादसे का वीडियो देख आप भी हैरान रह जाएंगे.
The footage of the fatal crash at the Madras International Circuit today. RIP K E Kumar pic.twitter.com/tfYvWaMVfm
ये रेस मद्रास इंटरनेशनल सर्किट में MRF MMSC FMSC इंडियन नेशनल कार रेसिंग चैम्पियनशिप चल रही थी.ये हादसा दूसरे दौर की कार रेसिंग के दौरान हुआ.ई कुमार की कार अपने दूसरे कॉम्पिटेंट की कार के संपर्क में आ गई थी, और उसके बाद उनकी कार ट्रैक से उतर गई.ट्रैक से उतरने के बाद उनकी कार एक पिलर से टकरा गई.हादसे होते ही रेस को रोक दिया गया.तुरंत ही उन्हें कार से निकाला गया और अस्पताल ले जाया गया लेकिन उन्होंने तब तक दम तोड़ दिया. रेसर की मौत पर संबंधित अधिकारियों ने दुख जताया है.मीट के अध्यक्ष विक्की चंडोक ने कहा कि, ये घटना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है.बता दें कि ई कुमार एक अनुभवी कार रेसर थे.वो कई सालों से कार रेसिंग में हिस्सा लेते थे.भारत के रेसिंग जगत में उनकी मौत के बाद से शोक की लहर है.
Jasprit Bumrah: टीम इंडिया की पेस बैटरी जसप्रीत बुमराह को फिलहाल टीम में वापसी करने में अभी और इंतजार करना पड़ेगा. बुमराह कमर में चोट के चलते मौजूदा श्रीलंका के खिलाफ सीरीज में नहीं खेल पा रहे हैं.‘स्ट्रेस फ्रेक्चर’ से जूझ रहे बुमराह को पहले भारतीय टीम में चुना गया था.लेकिन चोटिल होने के बाद उन्हें टीम से बाहर बैठना पड़ रहा है. हैरानी की बात है कि, 14 दिन के अंदर बीसीसीआई के बुमराह को लेकर 3 अलग अलग फैसले दिखाई दिए.जो फैंस से लेकर मीडिया तक के गले नहीं उतर रहे.
दिसंबर 2022 के आखिरी सप्ताह में श्रीलंका के खिलाफ वनडे सीरीज के लिए भारतीय टीम का ऐलान हुआ था.उस समय वो टीम में नहीं चुने गए थे.लेकिन बार-बार अंदर बाहर के फैसले से क्रिकेट बोर्ड की काफी किरकिरी हो रही है.
Jasprit Bumrah
विश्व कप से पहले फिट होना जरूरी
जसप्रीत बुमराह(Jasprit Bumrah)को पिछले साल इंग्लैंड दौरे के बाद कमर में फ्रेक्चर हुआ था.इसी वजह से वो एशिया कप से भी बाहर थे.हालांकि, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होंने टी-20 सीरीज में वापसी की, लेकिन अनफिट होने की वजह से वो फिर चोटिल हो गए. अनफिट होने की वजह से ही वो टी-20 विश्व में अपना जलवा नहीं दिखा सके. अब टीम मैनेजमेंट उन्हें लेकर इसलिए भी टेंशन में है, क्योंकि, इसी साल भारत वर्ल्ड कप की मेजबानी कर रहा है.ये सच है कि, अगर भारतीय टीम को विश्व कप अपने नाम करना है तो उससे पहले फिट होने के बाद बुमराह को लय में आना होगा.
क्यों जल्दबाजी में दिख रहा बोर्ड?
जब श्रीलंका दौरे के लिए 27 दिसंबर को टीम इंडिया का ऐलान हुआ था तब जसप्रीत बुमराह भारतीय टीम में शामिल नहीं किए गए थे. कमर की चोट के चलते उन्हें टी-20 और वनडे सीरीज में नहीं चुना गया था.जब बीसीसीआई की तरफ से बुमराह को लेकर कोई मीडिया ब्रीफिंग नहीं हुई तो ये माना गया कि, वो घायल ही होंगे. लेकिन श्रीलंका के खिलाफ पहले टी-20 मैच से पहले 3 जनवरी को बीसीसीआई ने अचानक इस बात का ऐलान कर दिया कि, बुमराह फिट हैं.उन्हें नेशनल क्रिकेट एकेडमी ने फिटनेस सर्टिफिकेट सौंपा था.जिसके बाद वो वनडे सीरीज के लिए टीम में चुन लिए गए.
अब फिर वनडे सीरीज शुरू होने से ठीक पहले 9 जनवरी को बीसीसीआई ने बताया कि, जसप्रीत बुमराह को अभी टीम में खेलने के लिए और समय चाहिए. इसी वजह से मीडिया और सोशल मीडिया पर लोग भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं.टीम इंडिया की पेस बैटरी जसप्रीत बुमराह को फिलहाल टीम में वापसी करने में अभी और इंतजार करना पड़ेगा.
E-Cycle Update: हम सभी इस बात से भलीभांति परिचित कि, देश में आय दिन प्रदूषण का प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है. जिसका एक कारण गाड़ी को माना जाता है. सरकार द्वारा लगातार देश में प्रदूषण को कम करने के लिए कई सारी योजनाएं बनाई जा रही है. जिसमे गाड़ी को सीएनजी तथा इलेक्टिक मॉडल बनाने का अधिक से अधिक प्रयास किया जा रहा है.
e-cycle(credit-Social media)
वैसे तो, वर्तमान में भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक मोटर साइकिल,कारों की संख्या बढ़ती ही जा रही हैं. जिसे ग्राहकों द्वारा काफी पसंद भी किया जा रहा है. दिल्ली की आत्मा और यूपी का शान कहे जाने वाला नोएडा प्रदूषण से भड़ा पड़ा है, ऐसे में चीन,अमेरिका,जापान की तरह भारत में भी ई-साइकिल (e-Cycle) की मदद से कार्बन रेडिएशन (Carbon Radiation) कम करने का योजना बनाया गया है.
1125 टन कार्बन रेडिएशन का होगा खात्मा
इस अभियान से नोएडा में हर वर्ष 1125 टन कार्बन रेडिएशन को कम किया जा सकेगा. आगामी 15 दिनों के बाद ये ई साइकिल नोएडा की सड़कों पर दौड़ने लगेगी. इसके लिए एमओयू (MOU) साइन के साथ प्राधिकरण (authority) ने टर्बन मोबिलिटी एलएलपी कंपनी (Turban Mobility LLP Company) का चयन किया है. कंपनी (फर्स्ट फेज में) एप बेस्ड 310 ई साइकिल सड़क पर उतारने वाली है.
62 जगहों पर बनेंगी ई डॉक स्टेशन
मिली जानकारी के अनुसार कंपनी द्वारा शहर में 62 जगहों पर ई-साइकिल के लिए ई डॉक स्टेशन (e-doc station) बनाई गई है.प्रत्येक स्टेशन से 10 ई-साइकिल चलेंगी. लोग इस साइकिल को डॉक स्टैंड (doc stand) से एप के माध्यम से लेंगे और उन्हें किसी भी ई -डॉक स्टेशन पर जमा कर सकते हैं. ई-साइकिल से यातायात दबाव कम होगा और प्रदूषण से राहत मिलेगी. ये योजना पीपीपी मॉडल (PPP Model) पर चलेगी.
दिन में तीन बार प्रयोग में लाई जाएगी
स्टडी के अनुसार ,एक ई-साइकिल कम से कम दिन में तीन बार प्रयोग में लाई जाएगी. 360 साइकिल प्रतिदिन 1080 चक्कर लगाएगी. जिससे हर वर्ष पेट्रोल डीजल वाहनों की अपेक्षा दो गुना प्रदूषण में कमी आयेगी वही ई साइकिल से सालाना 1125 टन कार्बन रेडिएशन में कमी आयेगी. जिससे पर्यावरण में प्रदूषण की कमी आयेगी.
Railway Fact: भारत में हर दिन लाखों लोग ट्रेन (Train) से सफर करते हैं. जब आप रेलवे स्टेशन (Railway station) पर खड़ी गाड़ी या चलती गाड़ी को देखते होंगे तो, आपके मन में यह सवाल जरूर आता होगा कि, आखिर ये ट्रेन लोहे के इतने बड़े-बड़े चक्के के साथ चलती कैसे है? और रेल के चक्के अंदर से क्यों बड़े होते हैं? यह बाहर से भी तो बड़ा हो सकता है? रेल मुड़ती कैसे होगी? ऐसे अनेकों सवाल आपके जहन में घूमते रहता है.
Train Wheel (Image-Google)
लेकिन इस सवाल का जवाब हमे मिल नहीं पाता है और हम रेल गाड़ी से उतरते ही इस प्रश्न को भूल जाते हैं. क्या आपको पता है? इसके पीछे भी एक कमाल का लॉजिक है. यह तो आप लोग भली भांति जानते होंगे कि ट्रेन में गाड़ियों की तरह स्टेयरिंग नहीं होती है.अब सवाल यह उठता है कि फिर ट्रेन मुड़ती कैसे है?और जब ट्रेन मुड़ेगी नही तो हम सीधे चलते जायेंगे और अपने मंजिल पर नहीं पहुंच पायेंगे.
क्या है पहिए का लॉजिक
रेलगाड़ी के मुड़ने का कमाल उसके पहिए का है, आप सबने यह गौर किया होगा कि पहली नजर में ट्रेन का पहिया बेलनाकार (cylindrical) लगाते हैं लेकिन जब आप चक्के को बारीकी से देखेंगे तो आपको पता चलेगी कि उनका आकार थोड़ा अर्ध-शंक्वाकार (semi-conical) है. यह विशेष रूप से जियोमेट्री (Geometry) ही है, जो ट्रेनों को पटरियों (Track) पर बनाए रखती है.
सब एक्सेल का कमाल होता है
दरसल,रेल का पहिया एक मजबूत धातु (Metal) से जोड़ा गया होता है जिसे एक्सेल (EXcel) कहा जाता है. यह दोनो पहिए को एक साथ जोयोमेट्री की मदद से मोड़ता है, जिससे ट्रेन मुड़ने के आसान हो जाता है. यह सीधे पटरियों के लिए ज्यादा अच्छा है. लेकिन घुमाव के समय दिक्कतें आ सकती है.और यही पर जोयमेट्री अपना कमाल दिखाता है और ट्रेन आसानी से मुड़ जाती है. इसलिए ट्रेन के अंदर वाला पहिया बड़ा होता है.