Fake Website: इन दिनों देश भर में लगातार साइबर अपराध के मामले बढ़ रहे हैं. जैसे-जैसे देश में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ रहा है वैसे ही साइबर अपराध से निपटने की चुनौतियां भी बढ़ रही हैं.देश में कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जिनमें फर्जी वेबसाइट के जरिए लोगों को शिकार बनाकर उनसे पैसे वसूले गए हैं. ऐसे गिरोह का शिकार तो कई बार पढ़े-लिखे लोग और सेलिब्रेटी तक हो चुके हैं. आप अगर कुछ बातों का ध्यान रखकर इस तरह की ठगी का शिकार होने से बच सकते हैं.
ऐसे करें नकली और असली वेबसाइट की पहचान
इंटरनेट ब्राउजिंग करते समय आप कुछ बातों को ध्यान में रखकर असली और फर्जी वेबसाइट की पहचान कर ठगी का शिकार होने से बच सकते हैं. आमतौर पर फेक वेबसाइट और असली वेबसाइट दोनों का इंटरफेस देखने में एक जैसा ही लगता है. लेकिन इन छोटी-छोटी का बातों का ध्यान रखकर आप इन्हें पहचान सकते हैं.
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वेबसाइट खोलने से पहले जांच ले URL
आमतौर पर हमें जब भी किसी भी चीज की जानकारी चाहिए होती है. हम सीधे गूगल पर जाते हैं और कुछ कीवर्ड्स टाइप कर सर्च करते हैं. ऐसे में हमारे सामने सर्च से रिलेटेड ढेर सारी वेबसाइट्स के लिंक आ जाते हैं और हम किसी एक वेबसाइट पर क्लिक कर देते हैं.ऐसे में हमें इन किसी भी वेबसाइट पर क्लिक करने से पहले इनके एड्रेस को जरूर चेक करना चाहिए. असली वेबसाइट के यूआरएल की शुरुआत ‘https’ से होती है. जबकि आमतौर पर फेक वेबसाइट्स पर सिर्फ ‘http’ लिखा होता है. इसके अलावा अगर आप कंप्यूटर या लैपटॉप में ब्राउजिंग कर रहे हैं, तो माउस को इस वेबसाइट के ऊपर ले जाकर हाइपरलिंक और यूआरएल चेक कर सकते हैं.
इस तरह जांचे वेबसाइट सर्टिफिकेशन
कोई भी वेबसाइट असली वेबसाइट है या फर्जी वेबसाइट है. इसकी जांच करने के लिए आपको वेबसाइट सर्टिफिकेशन की जांच करनी होगी. सामान्य तौर पर यह सर्टिफिकेशन लोग इन, पेज इन, होम पेज पर एसएसएल सर्टिफिकेशन के रूप में दिख जाती है. फेक वेबसाइट की पहचान यह भी है कि अगर आप वेबसाइट पर विजिट करेंगे तो आपको वहां अडल्ट विज्ञापन और लॉटरी संबंधित विज्ञापन देखने को मिलेंगे. इन वेबसाइट्स पर अपना ईमेल और पासवर्ड डालकर लॉग इन करने से बचना चाहिए.
कॉपीराइट और स्पेलिंग पर भी दें ध्यान
अगर आप किसी भी वेबसाइट पर विजिट कर रहे हैं, तो होम पेज पर सबसे नीचे कॉपीराइट से संबंधित सूचना देखने को मिल सकती है.कई बार फेक वेबसाइट बनाने वाले ओरिजनल वेबसाइट से मिलता जुलता नाम रखने के लिए वेबसाइट की स्पेलिंग में मामूली बदलाव करते हैं. जिससे फेक वेबसाइट की पहचान हो जाती है. वहीं, वेबसाइट विजिट करने के बाद यूआरएल के अंत में लॉक नजर आए तो इसका मतलब है कि यह वेबसाइट सुरक्षित है.
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