Sharad Yadav: शरद यादव के निधन के बाद से ही राजनीतिक गलियारे में शोक की लहर है. शरद यादव का पूरा जीवन सफर किसी रोमांच से कम नहीं रहा.कैसे वो एक किसान परिवार में जन्म लेने के बाद राजनीति के शिखर पर पहुंच गए.इसकी कहानी काफी फिल्मी है.
एमपी जन्मभूमि, बिहार कर्मभूमि
शरद यादव का जन्म 1 जुलाई 1947 को मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में हुआ.उनका जन्म किसान परिवार में हुआ.उनकी पढ़ाई वहीं हुई.इसके बाद उन्होंने मध्य प्रदेश के जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की. शरद यादव पढ़ाई में काफी अच्छे थे.उन्हें इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडल भी मिला था. शरद यादव ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत छात्र राजनीति से की.
जेपी आंदोलन से निकले थे शरद
शरद यादव जेपी के विचारों से काफी ज्यादा प्रभावित थे. वो जेपी आंदोलन से जुड़े भी थे. जेपी आंदोलन के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा था.लेकिन वो इसकी परवाह नहीं करते हुए इस आंदोलन का हिस्सा बने रहे. शरद यादव जो भी ठान लेते थे उसे जरूर करते थे.उनके इसी दृढ़ संकल्प ने उन्हें राजनीति में ये मुकाम हासिल करवाया.उन्होंने 1974 में पहली बार जबलपुर सीट से लोकसभा का चुनाव जीता. इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्हें 1977 में फिर से जबलपुर लोकसभा सीट से ही सांसद चुना गया. इस दौरान वो युवा जनता दल के अध्यक्ष भी थे.
यूपी में भी आजमाए हाथ
1986 में पहली बार शरद यादव राज्यसभा पहुंचे.इसके बाद उन्होंने 1989 में यूपी का रुख किया और बदायूं सीट से अपना हाथ आजमाया.जनता ने उन्हें प्यार दिया और वो इस सीट से भी जीत गए.1989 में वो केंद्रीय मंत्री भी बने.
तीन राज्यों का मिला प्यार
उन्हें 1997 में जनता दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया.बता दें कि शरद यादव अपने राजनीतिक सफर में 7 बार सांसद रह चुके थे.साल 1991 से 2014 तक बिहार की मधेपुरा जनता ने उन्हें अपना सांसद चुना.लेकिन 2014 में शरद यादव को मधेपुरा लोकसभा सीट से जनता ने नकार दिया.शरद यादव ऐसे नेता थे जिन्हें तीन राज्यों की जनता ने पसंद किया था.उन्होंने मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार तीनों जगह चुनाव लड़े थें.
नीतीश से रहा मनमुटाव
कुछ साल पहले नीतीश कुमार और शरद यादव का मनमुटाव सार्वजनिक तौर पर सबके सामने आ गया था.बता दें कि शरद यादव नीतीश की पार्टी जनता दल यूनाइटेड के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे चुके थे.
अनबन के बाद नीतीश खुद ही पार्टी के अध्यक्ष बन बैठे थे.इसके बाद शरद यादव ने जेडीयू से बाहर होकर अपनी नई पार्टी बनाई थी. लेकिन उनकी नई पार्टी नहीं चली इसके बाद उन्होंने लालू प्रसाद यादव से हाथ मिला लिया था.इसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी का विलय RJD में कर दिया था.
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