Aditya L1 Mission: पिछले दिनों चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग के बाद इसरो ने इतिहास रच दिया है और अब इसरो ने 2 सितंबर को आदित्य एल-1 मिशन की सफल लॉन्चिंग भी कर दी है. इस मिशन के तहत सूर्य का अध्ययन करना बताया जा रहा है. इसरो की ओर से अंतरिक्ष यह को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर लैंग्रेंजियन बिंदु 1 पर भेज दिया गया है. मिशन के लिए इसरो ने पहली बार इसरो ने हाई थ्रुपुट एक्स बैंड फ्रीक्वेंसी को इस्तेमाल में लिया है. शायद ही किसी को पता होगा की ये तकनीक क्या है? तो आइए आज हम इसके बारे में जानते हैं.
क्या है ये एक्स बैंड फ्रीक्वेंसी ? (X-band)
एक्स बैंड भी एस बैंड की तरह का एक फ्रीक्वेंसी है. वहीं अगर S-band की बात करें तो यह 2-2.5 GHz फ्रीक्वेंसी के तौर पर काम करता है. लेकिन X-band 8-8.5GHz फ्रीक्वेंसी पर मजबूती से काम करता है. इस एक्स बैंड को आदित्य L1 मिशन के साथ इसलिए जोड़ा गया है कि, यह बाहर से मिशन के लिए संचार का सबसे सटीक बैंड माना जाता है. आसान भाषा में समझे तो इसकी मदद से किसी भी दूर की सेटेलाइट के साथ आसानी से कम्युनिकेशन किया जा सकता है.
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कैसे करता है ये X-band काम ?
दोनों S-band और X-band ऑटो ट्रैकिंग सुविधाओं से लैस है. जिन्हें नेटवर्क कंट्रोल केंद्र से कंट्रोल किया जाता है. इस बात की जानकारी इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने देते हुए कहा कि, हमने चंद्रयान-3 के साथ भी इसका उपयोग किया था. इस फ्रीक्वेंसी को ECIL (इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड) की मदद से तैयार किया गया है. जो डीप स्पेस ट्रैकिंग एंटीना के साथ-साथ काम करने में सक्षम है.
दरअसल, इसरो के अध्यक्ष ने बताया कि उन्होंने इस नए मिशन के तहत इस नई तकनीकी की टेस्टिंग शुरू की है. वही इसरो की ओर से ऐसी स्टेशन बनाने की रणनीति बनाई गई है. जो अन्य मशीनों जैसे की कमर्शियल लॉन्चिंग रिमोट सेंसिंग और कम्युनिकेशन सेटेलाइट के लिए बयालु एंटीना के अलावा इन दोनों बंद की मदद से आसानी से किया जा सकता है. हालांकि अभी के समय में इसरो के पास केवल दो छोटे एंटीना है. लेकिन अब वो इस बैंड पर काम कर रहे हैं.
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