Women Reservation Bill: देश में करीब 27 सालों से एक बिल का जिक्र जितनी भी सस्ता में सरकारें आई सब ने किया. लेकिन इस बिल को किसी की ओर से मंजूरी नहीं मिली. यहां तक इस बिल का नाम भी नहीं दिया गया था और अब 27 साल बाद 19 सितंबर 2023 को नई संसद भवन में लोकसभा में महिला आरक्षण बिल को “नारी शक्ति वंदन अधिनियम” के नाम से पेश किया गया है. जहां 20 सितंबर को ही लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण देने की शक्ति का बिल पहली बार पास हो गया है. आखिरकार राज्यसभा से भी मंजूरी मिल ही गई.
राज्यसभा में बटी मिठाईयां
दरअसल, 20 सितंबर को लोकसभा में लंबे समय तक बहस हुई थी, जिसके बाद 21 सितंबर को 454 सांसदों ने मतदान कर इस नारी शक्ति वंदन अधिनियम
को लोकसभा से पास कर दिया गया है और इसे राज्यसभा भेजा गया है. वहीं बिल पास होने के बाद नई संसद में मिठाईयां बाटी गई.
राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल को मिले इतने वोट
राज्यसभा में भी इस विधेयक जो पूरी तरह से स्वीकार लिया है और किसी पार्टी के कोई पक्ष और प्रतिपक्ष ने विरोध नहीं किया है. हीं इस बिल के समर्थन में राज्यसभा के सभी 215 वोट मिले है. जबकि लंबे समय तक बाद विवाद के बाद सभी ने इसे मंजूरी दे दी है.
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कानून बनने के बाद
अगर नारीशक्ति वंदन विधेयक
के कानून बन जाते है तो 543 सदस्यों वाली लोकसभा में 82 महिला सदस्यों की संख्या बढ़कर 181 हो जाएगी. वहीं राज्य के विधानसभाओं में भी महिलाओं के 33 % सीट आरक्षित हो जाएंगी.
कब तक होगा लागू ?
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्विटर हैंडल से लोकसभा से विधायक पास होने और समर्थन मिलने के बाद संविधान के 128 वां संशोधन विधेयक 2023 में पारित होने की खुशी को जाहिर किया. तो वहीं देश के मौजूदा गृह मंत्री अमित शाह ने महिला आरक्षण कानून तुरंत लागू न होने के आरोप पर जवाब देते हुए कहा कि, जनगणना और परिसीमन के किसी सीट को रिजर्व करने की कोई संभावना अभी नहीं है. यानी उन्होंने एक तरह से संकेत दिया कि इसे लागू होने में 6 साल से अधिक यानी 2029 तक का समय लग सकता है.
2 ने किया विरोध 454 ने किया मतदान
इस नारी शक्ति वंदन अधिनियम के विधेयक के पक्ष में कुल 454 वोट पड़े जबकि 2 लोगों ने इसका विरोध किया. जिसमे ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी और उनकी पार्टी के सांसद इम्तियाज जलील ने वोट नहीं किया. खैर इसके बावजूद भी विपक्षी दलों ने इस आरक्षण बिल पर सहमति जताई. वहीं पहले दिन सदन में चली लंबी बहस के बाद विपक्षी दलों ने विधेयक में ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण के तहत कानून बनाने की मांग की है.
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