Chandrayaan-3 Mission : ISRO अपने ड्रीम प्रोजेक्ट Chandrayaan-3 को लॉन्च करने जा रहा है. जी हां चंद्रयान- 3 ने 11 जुलाई को अपना रिहर्सल पूरा कर लिया है. जिसके बाद यह 14 जुलाई को 2:35 बजे चंद्रमा की ओर जाने के लिए पृथ्वी से उड़ान भरेगा. बता दें कि करीब 45 से 50 दिन की यात्रा करने के बाद चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंडिंग करेगी. वही इसकी लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड 2 से होने वाली है. आपकी जानकारी के लिए बता दें, चंद्रयान-3 को चंद्रमा पर भेजने के लिए LVM-3 लॉन्चर का इस्तेमाल किया जा रहा है.
चंद्रयान-3 इस बार 10 चरणों में चंद्रमा की सतह तक पहुंचेगा
पहला चरण(पृथ्वी) : पहला चरण में चंद्रयान 3 धरती पर होने वाला काम करने वाला है. जिसमें तीन चरण आने वाला है. पहला स्टेज लॉन्च से पहले का स्टेज है. दूसरा- लॉन्च और रॉकेट को अंतरिक्ष तक ले जाना और तीसरा- धरती की अलग-अलग कक्षाओं में चंद्रयान-3 को आगे बढ़ाना. इस दौरान चंद्रयान-3 करीब छह चक्कर धरती के चारों तरफ लगाएगा. फिर वह दूसरे फेज की तरफ बढ़ जाएगा
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दूसरा चरण : दूसरे चरण लूनर ट्रांसफर फेज है. इसमें चंद्रयान को चंद्रमा की तरफ भेजने का काम किया जाना जय. इस फेज में ट्रैजेक्टरी का ट्रांसफर किया जाता है. यानी स्पेसक्राफ्ट लंबे से सोलर ऑर्बिट से होते हुए चंद्रमा की ओर बढ़ने लगता है.
तीसरा चरण : इस चरण में लूनर ऑर्बिट इंसर्सन फेज (LOI) है यानी चंद्रयान 3 को चांद की कक्षा में भेजा जाएगा.
चौथा चरण : इस फेज में चंद्रयान 3 सात से आठ बार ऑर्बिट मैन्यूवर करके चंद्रमा की सतह से 100 किमी ऊंची कक्षा में चक्कर लगाना शुरू कर देगा.
पांचवें चरण: इसमें प्रोपल्शन मॉड्यूल और लूनर मॉड्यूल एकदूसरे से अलग होंगे.
छठा चरण : यह फेज डी-बूस्ट फेज कहलाता है. यानी चंद्रयान जिस दिशा ने जायेगा गति को कम करने का काम करेगा.
सातवां चरण : प्री-लैंडिंग फेज यानी लैंडिंग से ठीक पहले की स्थिति. इसमें चंद्रयान की लैंडिंग की तैयारी शुरू की जाएगी.
आठवां चरण : इसमें चंद्रयान 3 की लैंडिंग कराई जाएगी.
नौवां चरण : लैंडर और रोवर चंद्रमा की सतह पर पहुंच कर सामान्य हो रहे होंगे.
दसवां चरण : प्रोपल्शन मॉड्यूल का चंद्रमा की 100 किलोमीटर की कक्षा में वापस पहुंचना.
Chandrayaan-3 Mission: क्या है स्वदेशी प्रोपल्शन मॉड्यूल
आपकी जानकारी के लिए बता दें, इस बार चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर नहीं भेजा जा रहा है. बल्कि स्वदेशी प्रोपल्शन मॉड्यूल को भेजा जाएगा जिसका वजन 2145.01 किलोग्राम होगा. यह लैंडर और रोवर को चंद्रमा की कक्षा तक लेकर जाएगा. जिसके बाद यह चंद्रमा के चारों तरफ 100 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में चक्कर लगाता रहेगा. बता दें यह चंद्रमा की स्टडी नहीं करेगा.
स्पेक्ट्रो-पोलैरीमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेटरी अर्थ के धरती का करेगा स्टडी
रिपर्ट्स के मुताबिक इसमें एस-बैंड ट्रांसपोंडर लगा है, जो इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क से कनेक्ट रहेगा. यानी लैंडर-रोवर से मिलने वाले जानकारी यह सीधे भारत को देगा. वही अनुमान है कि इस मॉड्यूल की उम्र 3 से 6 महीना होगा. हालांकि यह ज्यादा दिन तक भी काम कर सकता है. खास बात यह है कि चंद्रयान 3 स्पेक्ट्रो-पोलैरीमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेटरी अर्थ (SHAPE) के धरती के प्रकाश किरणों की स्टडी करेगा.
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