Trail Period Review: अभिनेत्री जेनेलिया देशमुख और मानव कोल इन दिनों अपनी फिल्म “ट्रायल पीरियड” को लेकर चर्चा का विषय बनें हुए हैं.फिल्म “ट्रायल पीरियड” में दिखाया गया है कि रिश्ते खून से ही जुड़े हों यह जरूरी नहीं है. यह फिल्म आधुनिक परिवारों के प्रेम और जटिलताओं की कहानी है जिसमें दिखाया गया है कि खून के रिश्ते से ज्यादा महत्वपूर्ण भावनात्मक रिश्ते होते हैं. बावजूद इसके जब एक दूसरे से विपरीत स्वभाव वाले एक दूसरे से टकराते हैं तो उनके बीच गहरे बंधन कैसे बन जाते हैं.
ये हैं फिल्म की कहानी (Trail Period Review)
फिल्म “ट्रायल पीरियड” एक सिंगल मदर अनामया रॉय चौधरी की कहानी है, जो अपने छह साल के बेटे रोमी की जिद की भी वजह से उसके लिए 30 दिन के ट्रायल पीरियड पर किराए का पिता लेकर आती है. उज्जैन के रहने वाले प्रजापति द्विवेदी बहुत ही अनुशासित जीवन जीते हैं. उनसे अनामया रॉय चौधरी शर्त रखती है कि रोमी के साथ उसे ऐसे पेश आना है, ताकि उसे पिता शब्द से नफरत हो जाए. प्रजापति द्विवेदी जिसे लोग प्यार से पीडी कहते हैं,अनामया रॉय चौधरी की शर्तों पर आ तो जाता है,लेकिन इन 30 दिनों में पीडी न सिर्फ रोमी के बहुत करीब आ जाता है, बल्कि अनामया रॉय चौधरी के प्रति भी उसके दिल में सहानुभूति पैदा हो जाती है. कहानी में अचानक नया मोड़ तब आता है जब अनामया रॉय चौधरी के माता- पिता अचानक उसके घर दिल्ली आ जाते हैं.
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फिल्म “ट्रायल पीरियड” की सबसे खास कड़ी जेनेलिया देशमुख हैं. लेकिन एक सिंगल मदर की बजाय वह प्रजापति द्विवेदी की भूमिका निभा रहे मानव कौल की प्रेमिका ज्यादा लगी है. इस भूमिका में वह काफी आकर्षक लगी. लेकिन मां- बेटे के बीच जिस तरह से भावनात्मक दृश्य उभर कर आने चाहिए वह नहीं दिखे.मानव कौल ने अपनी भूमिका के साथ पूरी तरह से न्याय करने की कोशिश की, लेकिन जिस तरह से परफॉर्मेंस की उनसे उम्मीद थी, उस पर वह खरे नहीं उतरे.फिल्म के बाकी कलाकारों गजराज राव, शक्ति कपूर, शीबा चड्ढा, स्वरूपा घोष, बरुण चंदा, और जिदान ब्राज का का परफॉर्मेंस सामान्य रहा.गजराज राव और शीबा चड्ढा को फिल्म में थोड़ा सा और स्पेस मिलना चाहिए था.
अलेया सेन इस फिल्म की राइटर और निर्देशक है. ये अलेया की दूसरी फिल्म है. अपने बेटे के लिए ट्रायल पर पापा ढूंढ़ने वाली मां की कहानी अलेया ने कुछ इस तरह से पेश की है कि वो सीधे आपके दिल को छू जाती है. इस फिल्म की यूएसपी है उसकी कॉमेडी और कॉमिक टाइमिंग, कई बार मूल विषय से भटकने वाली ये कहानी कॉमेडी की वजह से दर्शकों आखिरी तक कनेक्ट कर पाती है. फिल्म के स्क्रीनप्ले पर और काम किया जा सकता था, क्योंकि बीच में ये कहानी बोरिंग लगने लगती है.फिल्म को जियो सिनेमा पर रिलीज किया गया है, जिसे आप फ्री में देख सकते हैं.
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