Tax on Maruti Suzuki Car: छोटी कारों की मांग धीमी हो जाने से मारुति सुजुकी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने कहा कि पिछले कुछ सालों में सरकार की खराब नीतियों के कारण गाड़ी की बिक्री में काफी गिरावट आई है क्योंकि विभिन्न नियामक परिवर्तनों और सरकारी टैक्सों (Government Taxes) ने ऐसे मॉडलों की लागत में वृद्धि की है. देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी ऑल्टो, ऑल्टो K10 और एस-प्रेसो जैसी शुरुआती स्तर की कारों की बिक्री करती है. सरकार ने वाहनों को भारतीय आबादी की पहुंच से बाहर कर दिया है. सरकार की नीतियां (Govt Policy) ऐसी हैं कि वे कारों को लग्जरी उत्पाद मानती हैं, जिन पर भारी टैक्स लगाने की जरूरत है.
खराब नीतियों के कारण आई बिक्री में गिरावट
भारत में आंशिक रूप से खराब सरकारी नीतियों के कारण कार-उद्योग की वृद्धि पिछले 12 वर्षों में 12% से घटकर 3% हो गई है. मारुति की सबसे सस्ती कार की कीमत 3.40 लाख रुपये है और 28% का माल और सेवा कर (GST) ज्यादातर नई कारों पर लागू होता है. विश्व बैंक के अनुसार, चीन में 12,500 डॉलर और अमेरिका में 69,000 डॉलर की तुलना में भारत की प्रति व्यक्ति आय लगभग 2,300 डॉलर प्रति वर्ष है. केवल 7.5% भारतीय परिवारों के पास कार है जोकि चीन की तुलना में कम है, जहां लगभग आधे शहरी घर और एक-चौथाई ग्रामीण परिवारों के पास कार है. इसलिए उन्होंने कहा कि यह बोझ और वाहनों के सभी खंडों में एक समान टैक्स की वृद्धि के लिए अच्छा नहीं होगा.
कारों पर टैक्स की एक समान दर नहीं
ऑटोमोबाइल उद्योग के स्वस्थ विकास के लिए कार पार्क में नए ग्राहकों की संख्या में लगातार वृद्धि होनी चाहिए. कारों के स्वामित्व आधार हर साल बढ़ना चाहिए. जो खुद को संतुलित करने में सक्षम होता है. उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि कार उद्योग एक ऐसा उद्योग बन गया है जहां भारत में छोटे खंड में शायद ही कोई विकास होता है और सभी विकास उच्च खंडों में होता है. इसलिए सभी छोटी और बड़ी कारों पर टैक्स की एक समान दर नहीं है.
भारत में कारों पर टैक्स बहुत अधिक
भार्गव ने कहा कि, यूरोप और जापान जैसे विकसित बाजारों की तुलना में जहां प्रति व्यक्ति आय कहीं अधिक है, वहीं भारत में कारों पर टैक्स बहुत अधिक है.जिसपर सोचना जरूरी है.
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