WHO Update: पिछले दो सालों में कोरोना के अलावा , मंकी पॉक्स और निपाह जैसे वायरस से बड़े पैमाने पर जनहानि हुई है.ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ‘पैथोजन्स ‘ की पहचान के लिए एक ऐसा लिस्ट बनाने जा रहा है, जो भविष्य में कोरोना जैसी महामारी को जन्म नहीं दे सके.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने हाल ही में बताया है कि वो ऐसे बैक्टीरिया, वायरस और सूक्ष्मजीवों की पहचान कर रहा है जो भविष्य में कोरोना जैसी महामारी का कारण बन सकते हैं. डब्ल्यूएचओ इन पैथोजन्स से निपटने के लिए भी सूची बनाएगा. इस रिसर्च के लिए डब्ल्यूएचओ 300 वैज्ञानिकों की एक टीम तैयार कर रहा है जो भविष्य में महामारी फैलाने वाले बैक्टीरिया और वायरस की पहचान करेगी. साथ ही ये टीम इन रोगाणुओं के टीके और इलाज पर भी काम करेगी.
क्या है Pathogens ?
Pathogens का मतलब होता है रोगजनक यानी बीमारी को जन्म देने वाला. इसमें विषाणु, जीवाणु, कवक और परजीवी शामिल हैं. इन सभी की वजह से अलग-अलग तरह की बीमारियों का जन्म होता है. ये किसी भी जीव, पेड़-पौधे या अन्य सूक्ष्म जीवों को बीमार कर सकते हैं. मानव जीवों के कारण होने वाले रोग को रोगजनक जाता है.
WHO जल्द ही जारी करेगी प्राथमिक रोगजनको की सूची:
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, प्राथमिक रोगजनकों की सूची को अपडेट करने के लिए वैश्विक वैज्ञानिक प्रक्रिया शुरू की जा रही है जिसमें आने वाले खतरे से निपटने के लिए योजना बनाई जाएगी.डब्ल्यूएचओ ने बताया कि ये सब इसलिए किया जा रहा है ताकि पहले से बीमारी का पता होने पर पहले ही जनहित में कार्य किया जाए और जनहानि को कम किया जाए.
सूची में शामिल किए गए कई खतरनाक रोगजनक:
डब्ल्यूएचओ द्वारा प्राथमिकता वाले रोगजनकों की इस लिस्ट में कोविड- 19, इबोला वायरस, मारबर्ग वायरस, लस्सा फीवर, एमईआरएस, सार्स, जीका और डिजीज X शामिल हैं. इन रोगाणुओं को किसी भी महामारी के उत्पन्न होने की स्थिति में एक उपाय के तौर पर कड़ी निगरानी में रखा गया है.
डब्ल्यूएचओ द्वारा रोगजनकों की पहली सूची 2017 में प्रकाशित की गई थी. वर्तमान में कोविड -19, क्रीमियन-कॉन्ग हेमोररहाजिक बुखार, इबोला वायरस रोग और मारबर्ग वायरस रोग, लस्सा फीवर बुखार, मिडल ईस्ट रिस्पायरेटरी सिंड्रोम (MERS), सिंड्रोम और सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (SARS), निपाह और निपाविरल रोग, रिफ्ट वैली फीवर, जीका और डिसीज X शामिल हैं.
X Disease पर विशेष ध्यान:
इस दौरान वैज्ञानिकों का विशेष ध्यान डिजीज X (अज्ञात रोगजनक) पर होगी. डिजीज X भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महामारी का कारण बन सकता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि ये कोरोना से बहुत ज्यादा खतरनाक साबित हो सकते हैं और अगर ये एक बार फैल गया तो इसे रोकना लगभग नामुमकिन होगा. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि 300 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों की टीम डिजीज X समेत 25 से अधिक वायरस के परिवारों और बैक्टीरिया के सबूतों पर काम करेंगे.
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