Glaucoma Risk: तेजी से बदल रहे लाइफस्टाइल और गलत खान-पान के कारण आंखों की समस्याएं भी बढ़ती जा रही हैं. धूम्रपान और लंबें समय तक स्क्रीन के इस्तेमाल से ग्लूकोमा का खतरा बढ़ रहा है जो आंखों की रोशनी भी छीन सकता है. हालांकि समय रहते बचाव से ग्लूकोमा की समस्या से छुटकारा भी पाया जा सकता है. आइए जानते हैं…
स्क्रीन इस्तेमाल से ग्लूकोमा का खतरा अधिक
लोग लंबे समय तक काम के बाद भी बेवजह में मोबाइल और लैपटॉप का इस्तेमाल करते हैं जो आंखों की रोशनी के लिए बेहद ही खतरनाक होता है. लंबे समय तक स्क्रीन के इस्तेमाल से ग्लूकोमा का खतरा बढ़ जाता है. समय रहते ग्लूकोमा का इलाज न कराने से आंखों की रोशनी भी जा सकती है.
आंखों की रोशनी के लिए खतरनाक है ग्लूकोमा
ग्लूकोमा आंखों के लिए एक बेहद खतरनाक बीमारी है जो लंबे समय तक ग्रसित रहने वाले व्यक्ति की आंखों की रोशनी को भी छीन सकती है. आमतौर पर 60 वर्ष से ऊपर के लोगों को ग्लूकोमा जैसी गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ता है लेकिन आज के समय में लंबे समय तक स्क्रीन के इस्तेमाल करने वाले लोगों में भी ग्लूकोमा का खतरा बढ़ जाता है.
ग्लूकोमा के शुरुआती लक्षण
ग्लूकोमा से पीड़ित व्यक्तियों को शुरुआती चरण में पता लगने से नियमित इलाज के बाद तुरंत छुटकारा पाया जा सकता है. यदि आपकी आंखों में भी इस तरह की समस्याएं होती हैं तो वे ग्लूकोमा के लक्षण भी हो सकती हैं.
- आंखों में तेज जलन
- आंखों में खुजली
- आंखों में लालीपन
- धूंधला दिखाई देना
- रोशनी के चारों तरफ इंद्रधनुष नजर आना
इन लोगों में ग्लूकोमा का खतरा अधिक
- शरीर में उच्च रक्तचाप यानी ब्लड सर्कुलेशन अधिक होने पर भी ग्लूकोमा का खतरा बढ़ जाता है.
- लंबे समय तक मोबाइल, लैपटॉप या टीवी के इस्तेमाल से भी ग्लूकोमा का खतरा अधिक हो जाता है.
- अनुवांशिक कारणों से भी ग्लूकोमा का खतरा बढ़ सकता है.
- चोट लगने के बाद आंखों की देखभाल न करने के कारण भी ग्लूकोमा का खतरा बढ़ जाता है.
नोट: लेख में दी गई जानकारी की सटीकता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है. लेकिन फिर भी इस पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें. हमारा उद्देश्य आपको सिर्फ जानकारी उपलब्ध कराना है. Bloggistan इसकी नैतिक जिम्मेदारी नहीं लेता.