Labour Day 2023 : मजदूर दिवस (Labour Day) हर साल 1 मई को मनाया जाता है, इसे श्रमिक दिवस और मई दिवस (May Day) के रूप में भी जाना जाता है. भारत में सबसे पहले 1 मई 1923 को लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान की अध्यक्षता में मजदूर दिवस मनाया गया था. तब से लेकर आज तक इसे मजदूर दिवस के रूम में मनाया जाता है. ऐसे में अगर आप भी अभी तक इस बात से अनजान है कि आखिर क्यों मनाया जाता है लेबर दिवस? तो आज हम आपको इस लेख में आपको बताएंगे इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य, जिससे शायद आप अभी तक अनजान है. तो चलिए बिना देर किए इसके बारे में जानते हैं.
दरअसल हर साल 1 मई को वैश्विक अवकाश दिया जाता है जो श्रमिकों और श्रमिक आंदोलन के योगदान और उपलब्धियों को याद करता है. छुट्टी की शुरुआत 19वीं शताब्दी के अंत में उन श्रमिकों के संघर्षों और बलिदानों का सम्मान करने के लिए की गई थी, जिन्हीनें बेहतर काम करने की स्थिति, उचित मजदूरी और बेहतर श्रम कानूनों के लिए संघर्ष किया था.
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अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस थीम 2023
हर साल अंतराष्ट्रीय दिवस या श्रम 1 मई को मनाया जाता है. इसमें श्रमिकों के हित में दुनिया भर में मौजूद मुद्दों पर विचार किया जाता है और उसका निवारण करने का प्रयास किया जाता है.
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस (2023) थीम – “सभी मजदूरों को एकजुट होकर अपने हक और अधिकारों के लिए लड़ाई लड़नी चाहिए और अपने हक के कानूनों की जानकारी होनी चाहिए” है.
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस (2022) – बाल श्रम को समाप्त करने के लिए सार्वभौमिक सामाजिक संरक्षण
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस (2021) – Resilient पुनर्प्राप्ति. एक ऐसी दुनिया को स्थापित करना जो सबके हित में काम करती हो.
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस ( 2020) – सामाजिक और आर्थिक उन्नति के लिए श्रमिकों को एकजुट करना
Labour Day 2023 :मजदूर दिवस मनाने का उद्देश्य
किसी भी देश की उन्नति के लिए वहां का मजदूर वर्ग जी तोड़ मेहनत करता है और आज एक मई का दिन उनकी इस मेहनत की सराहना करने और राष्ट्र के लिए उनके योगदान और बलिदान को याद करने का दिन है.
इस दिन सभी मजदूरों को अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ, अधिकारों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए.
मजदूरों को एकजुट होकर एक दूसरे के साथ हो रहे शोषण को रोकना चाहिए या विरोध करना चाहिए.
Labour Day 2023 : आखिर क्या है मजदूर दिवस का इतिहास
एक समय था जब हमारे देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मजदूरों को खूब प्रतारित किया जाता है. उनसे घंटो काम करवाया जाता था. जिसके बाद मजदूर संगठन अपनी हक की लड़ाई लड़ने के लिए खड़े हो जाते हैं. मजदूर 1 मई 1886 को संयुक्त राज्य अमेरिका में अडोलन शुरू कर देते हैं और मांग करते हैं कि मजदूरों से केवल 8 घंटे ही खटवाया जाए. बढ़ते आक्रोश के कारण अमेरिकी गवर्मेंट मजदूरों पर गोली भी चलवा देती है, जिसमें दो मजदूर की जान चली जाती है.
इसके बाद साल 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में उन्होंने मांग की 1 सितम्बर को सभी श्रमिकों को छुट्टी दी जाए और सभी श्रमिक दिन में सिर्फ 8 घंटे ही काम करवाया जाएं. काफी विद्रोह के बाद अंततः अमेरिकी सरकार को उनकी बात माननी पड़ी.
ये तो हुई पहले की बात, लेकिन इससे पहले 5 सितंबर 1982 को संयुक्त राज्य अमेरिका की सड़कों पर एक साथ 10000 श्रमिक उतर आए और सिटी हॉल से 42वीं गली तक पैदल मार्च किया था. और उसके बाद एल्म पार्क में सभी अपने परिवारों के साथ भाषण और विरोध पर उतर गए थे.
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