Train Coaches Colour: भारतीय ट्रेन में रोजाना लगभग दो करोड़ से ज्यादा लोग सफर करते हैं. भारत में रेलवे(Railways) का नेटवर्क एशिया का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क माना जाता है. रेलवे में 12167 पैसेंजर ट्रेन हैं और 7349 माल गाड़ी ट्रेनें हैं. अगर आप ध्यान से कभी देखे तो इन ट्रेनों पर तीन कलर के रंग होते हैं ट्रेनों के कुछ डिब्बे लाल, कुछ हरे,और कुछ नीले कलर के होते हैं क्या आपको पता है कि इन तीनों अलग-अलग रंगों के पीछे क्या कारण होता है अगर नहीं पता तो आज हम आपको यह बताते हैं.
लाल रंग के डिब्बे
सबसे पहले बात करते हैं लाल रंग के डिब्बों की. ट्रेनों में अगर आप देखें तो लाल रंग के कोचों की संख्या आपको सबसे ज्यादा दिखेगी. लाल रंग के कोचों को LHB यानी Linke Hofmann Busch कहते हैं. इन कोचों को बनाने में स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल होता है. इस वजह से ये डिब्बे वजन में हल्के होते हैं. इन डिब्बों को डिस्क ब्रेक के साथ 200 KM/घंटा की स्पीड से दौड़ाया जा सकता है. इसके मेंटेनेंस में भी कम खर्च आता है. एक्सीडेंट होने पर ये डिब्बे एक-दूसरे के ऊपर नहीं चढ़ते हैं.इनका निर्माण कपूरथला, पंजाब में होता है.
नीले रंग के डिब्बे
नीले रंगों वाले कोच को Integral Coach Factory कोच कहते हैं. नीले रंग के कोच वाले ट्रेनों की स्पीड 70 से 140 किमी/घंटा तक होती है. मेल एक्सप्रेस या सुपरफास्ट ट्रेनों में इन डिब्बों का इस्तेमाल किया जाता है. इन्हें बनाने में लोहे का इस्तेमाल किया जाता है. ये डिब्बे भारी होते हैं, इस कारण इनके मेंटेनेंस में खर्च ज्यादा आता है. इंटीग्रल कोच फैक्ट्री तमिलनाडु में स्थित है.
हरे रंग के डिब्बे
हरे रंग के डिब्बों का इस्तेमाल गरीब रथ की ट्रेनों में होता है. जबकि मीटर गेज ट्रेनों में भूरे रंग के डिब्बों का इस्तेमाल होता है. हलके रंग के कोच का प्रयोग नैरो गेज ट्रेनों में होता है. भारत की बात करें तो अब देश में नैरो गेज ट्रेनों का परिचालन लगभग बंद कर दिया गया है.तो ये थी ट्रेन के 3 रंगों से जुड़ी जानकारी. उम्मीद करते हैं ये जानकारी आपको पसंद आई होगी और इसे आप दूसरों के साथ शेयर करेंगे.
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