Indian Railways: जब आप कभी ट्रेन में बैठकर यात्रा करते होंगे तो आप यह मानते होंगे कि जिस ट्रेन के अंदर हम बैठे हुए हैं उसे ट्रेन को जो पायलट चला रहा है वह ट्रेन को अपनी मर्जी कहीं भी इसे रोक सकता है और जब चाहे वह ट्रेन की स्पीड को घटा बढ़ा सकता है जबकि ऐसा नहीं है ऐसा हम क्यों कह रहे हैं,आइए आपको विस्तार से ये आपको बताते हैं.
68000 किलोमीटर में फैला हुआ है ट्रैक
बता दें पूरे देश में रेलवे ट्रैक 68000 किलोमीटर में फैला हुआ है.इस ट्रैक पर कई हजार स्टेशन पड़ते हैं इन स्टेशन पर ट्रेन की स्पीड कितनी होगी यह भारतीय रेलवे तय करता है और उसी के मुताबिक लोको पायलट ट्रेन की स्पीड को स्टेशन पर घटाता और बढ़ाता है. भारत में जो रेलवे नेटवर्क बना हुआ है उसमें ट्रेन 90 किलोमीटर प्रति घंटे से लेकर 160 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड तक दौड़ सकती है लेकिन अधिकतर जगह पर अभी रेलवे ट्रैक की ऐसी कंडीशन नहीं है कि उन पर 160 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से ट्रेन को दौड़ाया जाए.
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अपनी मर्जी से ट्रेन नहीं चला सकता लोको पायलट
ट्रेन को स्टार्ट करने से पहले उसे ट्रेन के लोको पायलट को सतर्कता प्लान दिया जाता है जिसमें यह निर्देश लिखा हुआ होता है कि उसे रेलवे के किस सेक्शन में कितनी स्पीड से ट्रेन को दौड़ना है. जो प्लान उसे रेलवे से मिलता है उसी के अनुसार लोको पायलट ट्रेन को चलाता है.अपनी मर्जी से वह ट्रेन की स्पीड को घटा बढ़ा नहीं सकता.
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