TYRE Colour: आपने अपने आसपास से लेकर सड़क हाईवे और एक्सप्रेसवे पर चलने वाली गाड़ियों के टायर को जरूर देखा होगा. कई बार लोग बैठे-बैठे यह सोच जाते हैं कि, गाड़ी का टायर आखिर काले रंग का ही क्यों होता है? क्या आपके मन में कभी सवाल आया कि आखिर ऐसा ही क्यों होता है कंपनियों के पास इतने कलर के विकल्प होते हैं फिर भी कंपनियां काले कलर का टायर क्यों बनाती है?
दरअसल, आपने साइकिल, मोटरसाइकिल, स्कूटर, बस, ट्रैक्टर, ट्रक को देखा होगा तो इनके टायर हमेशा काले रंग के ही होते हैं. यहां तक की बड़े-बड़े विमान के टायर भी काले कलर में देखने को मिल जाते हैं. लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि टायर बनाते समय इसका रंग दूध की तरह सफेद होता है पर इस बीच कुछ ऐसा होता है कि यह दूध जैसा सफेद रंग काला हो जाता है. आइये आज आपके इस कंफ्यूजन को दूर करते हैं.
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सफेद दूध की तरह दिखने वाला रंग काले में बदल जाता है
गाड़ियों के टायर को जिन रबड़ से तैयार किया जाता है. वह दूध की तरह बिल्कुल सफेद होते हैं लेकिन टायर में मजबूती देने के लिए उसने ब्लैक कार्बन का इस्तेमाल किया जाता है. अब ब्लैक कार्बन इसलिए मिलाया जाता है ताकि, टायर मजबूती के साथ लंबे समय तक भारी वजन क्षमता के साथ सड़कों पर चल सके. इसीलिए जब इसे मिलाया जाता है तो टायर अपने आप काले रंग में बदल जाता है.
आखिर सफेद रंग क्यों नहीं?
कई लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि, अगर टायर को सफेद या फिर अन्य किसी रंग में बनाया जाए तो क्या होगा? इसका जवाब सफेद रंग या सफेद रबर कालें रबर के मुकाबले उतना सहनशील नहीं होता है. अगर गाड़ियों में सफेद रंग का टायर इस्तेमाल किया जाता है तो गाड़ी मालिक भी हर 2 महीने में गाड़ी के टायर को चेंज करवाने के लिए परेशान रहेगा. इसीलिए कंपनियां मजबूती के साथ काले रंग के टायर से जोड़कर गाड़ियों को मार्केट में उतरती हैं.
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