Bharat NCAP vs Global NCAP: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को देश का पहला कार क्रैश टेस्ट प्रोग्राम दुर्घटना भारत एनसीएपी (NCAP) दिया है. इस सिस्टम की मदद से 3.5 टन से अधिक की गाड़ियों के रोड सेफ्टी स्टैंडर्ड में सुधार किया जाएगा. उन्होंने मंच से कहा कि यह ऑटोमोबाइल इंडस्टरीज जगत के अलावा देश की जनता के लिए बड़ी सौगात है. क्योंकि भारत एनसीएपी (NCAP) सिस्टम की मदद से गाड़ियों की सुरक्षा और सुविधा में काफी सुधार लाया जा सके. आज के समय में देश के सामने दो बड़ी चुनौतियां वायु प्रदूषण और सड़क दुर्घटना बनी हुई है. ठीक उसी प्रकार ग्लोबल एनसीएपी काम करता है. तो आइये आज हम दोनों NCAP के बारे में सझते है कि, दोनों के क्या अंतर है?
क्या है Bharat NCAP और कैसे करेगा काम?
भारत एनसीएपी ग्लोबल एनसीएपी के जैसा ही कारों की टेस्टिंग करेगा. लेकिन अंतर इतना होगा कि कर टेस्टिंग करने के दौरान भारतीय ड्राइविंग रूल्स का भी ख्याल रखेगा. वहीं अंतर की बात करें तो दोनों में काफी अंतर देखने को मिलेगा.
सेफ्टी रेटिंग (Sefti Reting)
ग्लोबल एनसीएपी में कर को सेफ्टी के आधार पर फाइव स्टार रेटिंग दी जाती है. और बिंदु के मुताबिक 34 पॉइंट भी मिलता है जबकि 16 पॉइंट फ्रंट क्रैश टेस्ट के लिए 16 पॉइंट साइड इंपैक्ट और दो पॉइंट सीट बेल्ट रिमाइंडर के लिए दिया जाता है. जबकि अब भारत एनसीएपी में फाइव स्टार रेटिंग गाड़ियों को दिए जाएंगे. जिसमें एडल्ट सवारी सेफ्टी के लिए कम से कम 27 पॉइंट दिया जाएगा और चाइल्ड सेफ्टी के लिए 41 पॉइंट दिया जाएगा.
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क्रैश टेस्ट
भारत एनसीपी के तहत गाड़ियों के क्रैश टेस्ट के प्रोटोकॉल नियम के तहत किया जाएगा. जिसमें कर की क्रैश टेस्ट के दौरान तीन प्रमुख जांच भी किए जाएंगे. जिसमें ऑफसेट डिफॉर्मेबल वॉरियर फ्रंटल इंपैक्ट टेस्ट, पॉल साइड इंपैक्ट टेस्ट और साइड इंपैक्ट टेस्ट होगा.
Top स्पीड (Top Speed)
टेस्टिंग के दौरान कर की टॉप स्पीड पर भी काफी मध्य नजर रखा जाता है. भारत एनसीएपी के लिए फ्रंटल क्रैश टेस्ट को 64 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से टेस्ट किया जाता है. जबकि साइड पल साइड इंपैक्ट टेस्ट के लिए 50 किलोमीटर प्रति घंटा और 29 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से टेस्ट लिया जाता है. पर ग्लोबल एनसीएपी में इसे थोड़ा अलग बदलाव किया गया है.
सेफ्टी रेटिंग टेस्ट
ग्लोबल एनसीएपी करो का टेस्टिंग सेफ्टी रेटिंग के लिए दो तरह से किया जाता है. जिसमें एक एडल्ट और दूसरा चाइल्ड प्रोटेक्शन के लिए टेस्टिंग किया जाता है और टेस्टिंग के दौरान ही रेटिंग दी जाती है. हालांकि अब भारत में टेस्ट प्रोग्राम लॉन्च होने के बाद भारत में ही कारों का रेटिंग दिया जाएगा इसके बाद देश में भारत की कार्य राज करेंगे वो भी सेफ्टी के साथ.
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