Notice Period Rules: खासकर प्राइवेट सेक्टर में आजकल नौकरियों के अच्छे विकल्प मौजूद हैं.लेकिन नई नौकरी मिलने के बाद से लेकर उसे ज्वॉइन करने के बीच का समय बहुत तनाव भरा होता है.दरअसल लोग जानकारी के अभाव में बहुत कन्फ्यूजन में रहते हैं कि, नौकरी से इस्तीफा देने के बाद नोटिस सर्व(Notice Period) करना जरूरी है या नहीं.
क्योंकि, अलग अलग कंपनियों में नोटिस सर्व को लेकर अलग नियम होते हैं.हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे कि, क्या रिजाइन के बाद पूरा नोटिस सर्व करना जरूरी है या कोई बीच का रास्ता है जिससे आपका नुकसान कम से कम हो.
Notice Period Rules: इस्तीफे के बाद क्या करना चाहिए?
नौकरी में इस्तीफे के बाद और नए संस्थान में जॉब ज्वॉइन करने से पहले के समय को नोटिस सर्व करना कहते हैं.हालांकि, अगर आप नोटिस सर्व करना नहीं चाहते तो आप कुछ शर्तों को पूरा करके मौजूदा संस्थान से आराम से जा सकते हैं. अगर वाकई कोई इमरजेंसी है या आपकी मजबूरी कि, आप रिजाइन के तुरंत बाद नई जॉब ज्वॉइन करना चाहते हैं तो इससे आपको नोटिस पीरियड के लिए जरूरी दिनों की सैलरी संस्थान को देनी होगी.जिससे कंपनी को आपके अचानक जाने से आर्थिक नुकसान ना हो और वो आपकी जगह किसी और कर्मचारी को ला सके.
कॉन्ट्रैक्ट में होती है नोटिस पीरियड की जानकारी
नोटिस पीरियड को लेकर सभी कंपनी की अलग अलग पॉलिसी होती हैं.हालांकि नोटिस पीरियड कितने वक्त का होगा, इसे लेकर कोई सरकारी नियम नहीं है. इसकी जानकारी आपको कंपनी के कॉन्ट्रैक्ट से ही होती है. ज्यादातर कंपनियों में जो लोग प्रोबेशन पर होते हैं, उनके लिए नोटिस पीरियड 15 दिन से 30 दिन का होता है.
जबकि परमानेंट इंप्लाई के लिए अलग अलग कंपनियों में 30 दिन से 90 दिन के बीच नोटिस सर्व करना होता है.हालांकि, एक सच ये भी है कि, 99 फीसदी लोग जॉब ज्वॉइन करने के दौरान कॉन्ट्रैक्ट को इतने ध्यान से नहीं पढ़ते, वो बस फटाफट ये देखते हैं कि, साइन कहां कहां करने हैं.
नोटिस पीरियड को लेकर हैं कई विकल्प
जो लोग जल्दी जल्दी नौकरी बदलते हैं वो लोग ज्यादातर नोटिस पीरियड सर्व करने की जगह अपनी छुट्टियों को एडजस्ट कराकर कम से कम दिनों का पैसा देकर जाना पसंद करते हैं.इसका आधार आपकी बेसिक सैलरी होती है. कई कंपनियां सैलरी का बचा हुआ पैसा और नोटिस पीरियड के एवज में किए गए पेमेंट का सेटलमेंट ( Full and Final)कर लेती हैं.कुल मिलाकर नोटिस पीरियड को लेकर जानकारी बहुत जरूरी है.जिससे आपका नुकसान कम से कम और फायदा ज्यादा से ज्यादा हो.
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