Post Covid Impact: पूरी दुनिया में कोहराम मचाने वाली कोविड महामारी को लेकर लगातार स्टडी हो रही हैं. इन स्टडी में कई चौंकाने वाले खुलासे होते रहते हैं. अब एक नई स्टडी में पता चला है कि इस वायरस की वजह से लोगों की मेमोरी यानी याददाश्त पर बुरा असर पड़ा है. करोना की चपेट में आ चुके कई लोगों को ब्रेन फॉग(Brain Fog)की समस्या से भी जूझना पड़ रहा है.इसे आप पोस्ट कोविड सिम्टम्स कह सकते हैं.
ब्रेन फॉग कोविड का ऐसा लक्षण है जो कि लंबे समय तक या कह सकते हैं सालों तक रह सकता है. वैसे तो आप सभी जानते हैं, कि करोना से ठीक होंने के बाद भी कई तरह की परेशानियां होती हैं. पर ये कुछ अलग है. क्योंकि ये सीधा आपके ब्रेन पर असर करेंगा, और आपकी डेली लाइफ को अफेक्ट करेगा.
क्या कहती है स्टडी ?
अगर रिपोर्ट की माने तो कोविड के कारण केवल 25 साल या इससे बड़े लोगों की वर्किंग मेमोरी पर बुरा असर पड़ता है. इस स्टडी के लिए हुए सर्वे में कुल 5400 शामिल हुए थे. इन लोगों से उनके कोविड स्टेटस, लक्षण और उनकी याददाश्त को लेकर सवाल पूछे गए थे.सर्वे में विजुअल पर आधारित एक वर्किंग मेमोरी गेम था, जिसमें हिस्सा लेने वालों को फल, जानवर समेत दूसरी चीजों को पहचानना था.स्टडी में कोविड ग्रुप के लोगों की वर्किंग मेमोरी का स्कोर गैर-कोविड वाले ग्रुप के सदस्यों के मुकाबले काफी कम आया .
क्या है ब्रेन फॉग ?
- कोविड का शिकार कई लोग ब्रेन फॉग(Brain Fog) की समस्या से जूझते हैं.
- इसमें याद रखना, ध्यान केंद्रित करना और रोजाना के काम करना मुश्किल हो जाता है.
- ब्रेन फॉग से जूझते इंसान के व्यवहार में आपको बदलाव देखने को मिल सकता है.
- किसी काम में मन नहीं लगना,चिड़चिड़ापन रहना भी इसका एक लक्षण है.
- कोविड संक्रमण होने के कुछ समय बाद मेमोरी फंक्शन रिकवर हो सकता है लेकिन संक्रमित लोगों को वर्किंग मेमोरी की दिक्कतों से जूझना पड़ सकता है.
- वर्किंग मेमोरी एक तरह की शॉर्ट-टर्म मेमोरी होती है, जो डेली रुटीन के काम या समस्याओं को हल करने में इस्तेमाल होती है.
- ऐसे में अगर वर्किंग मेमोरी ठीक से काम न करे तो व्यक्ति की डेली लाइफ काफी हद तक प्रभावित हो सकती है.
ये भी पढ़ें: Copper Water: सावधान,तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से पहले ये गलतियां पड़ सकती हैं भारी