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जानें,कौन था वो शख्स जिसने चांद पर दशकों पहले दौड़ाई थी कार और अंतरिक्ष में गुजारे थे 547 घंटे

Moon: इन दिनों भारत के अलावा देशभर में चंद्रयान 3 की चर्चा चल रही है, जो कल यानी 23 अगस्त 2023 की शाम 6:00 बजे चांद पर लैंड करने वाला है. कहां जा रहा है कि, यह चंद्रयान भारत के लिए चांद से कई सारी जानकारियां इकट्ठा करके वापस आएगा. यही वजह है कि आने वाला कुछ पल भारत के लिए बेहद खास होने वाला है. लेकिन क्या आपको पता है कि एक ऐसा भी शख्स है, जो चांद पर जाकर “कार” चला कर वापस आ चुका है. जिसका नाम डेविड रेंडोल्फ स्टॉक है.

547 घंटे बिता चुका अंतरिक्ष पर अपना समय

दरअसल, डेविड रेंडोल्फ स्टॉक (David Randolph Scott) अपने जीवन का लगभग 546 घंटा और 54 मिनट अंतरिक्ष पर बीटा चुके हैं. डेविड अमेरिका के अपोलो 15 मिशन के तहत सन 1971 में चांद पर गए थे. और वो चांद पर पहले ऐसे व्यक्ति हुए जिन्होंने गाड़ी चलाई है. उन्होंने अपने साथ कोई आमकर नहीं बल्कि Lunar Roving Vehicle लेकर गए थे. जिसे खास कर चांद पर खोज के लिए बनाया गया था..

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अमेरिका अपोलो-15 मिशन के कमांडर द डेविड

डेविड स्कॉट का जन्म 6 जून 1932 में हुआ था और वह 31 जुलाई 1971 में पहली बार चंद पर व्हीकल चलने वाले बन गए थे. जो दुनिया के पहले ऐसे शख्स हैं हालांकि आज तक किसी ने ऐसा नहीं किया है. डेविड अमेरिका अपोलो में 15 मिशन के कमांडर के रूप में चांद पर पहुंचने वाले सातवें व्यक्ति के लिए जाने जाते हैं.

अमेरिका अपोलो 15 मिशन कब हुआ शुरू ?

गॉड तालाब है कि अपोलो 15 मिशन को 26 जुलाई 1971 की सुबह 9 बजकर 34 मिनट पर कैनेडी स्पेस सेंटर से छोड़ गया था. जिसने 4 दिन की यात्रा पूरी करने के बाद चांद की सतह रिले नमक घाटी के पास एपीनें पर्वत की बेस पर जाकर उतरा था.

डेविड ने चलाई थी लूनर रोविंग व्हीकल

अमेरिका अपोलो 15 मिशन के तहत चांद पर पहुंचने के बाद डेविड स्कॉट ने, लूनर रोविंग व्हीकल नामक एक गाड़ी को चलाया था, खासकर इस गाड़ी को चंद्रमा पर चलने के लिए उसके पहियों में 200 वाट की क्षमता वाला इलेक्ट्रिक मोटर जोड़ा गया था. जिसको लेकर दावा किया गया कि यह गाड़ी 10 से 12 किलोमीटर घंटा की स्पीड से दौड़ सकती है. हालांकि इसे चलाने को हर कोई चला सकता था लेकिन इसकी जिम्मेदारी मिशन के कमांडर डेविड स्कॉट को मिली थी. वहीं इस गाड़ी की मदद से तीन अलग-अलग ट्रैक पर करीब 28 किलोमीटर तक चलाया गया था, और 7 अगस्त को कमांडर अपने दल के साथ धरती पर वापस लौट आए थे.

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