Surya Jayanti: हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ (Maagh) मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के सूर्य जयंती व्रत रखा जाएगा.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य जयंती के दिन प्रत्यक्ष देवता सूर्य देव की उपासना करने से आरोग्यता, बल, धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में सूर्य देव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है.
शास्त्रों में बताया गया है कि इसी दिन सूर्य देव अपने सात अश्वों के साथ प्रकट हुए थे. इसलिए इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है. वेदों में सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए कुछ विशेष मंत्र बताए गए हैं, जिनका जाप करने से साधकों को विशेष लाभ मिलता है. इससे पहले जान लें सूर्य सप्तमी पूजा की सही विधि-
सूर्य देव मंत्र (Surya Jayanti)
ॐ सूर्य आत्मा जगतस्तस्युषश्च. आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने.दीर्घमायुर्बलं वीर्यं व्याधि शोक विनाशनम्.सूर्य पादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम्.
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर.
सूर्य जयंती व्रत पूजा विधि
प्रात:काल उठकर स्नान कर साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें.स्नान के बाद उगते सूर्य को अर्घ्य दें.
संभव हो तो किसी नदी या तालाब में जाकर स्नान करें.अर्घ्य देते समय सूर्य मंत्र या गायत्री मंत्र का जाप करें.फिर व्रत का संकल्प लें.सूर्य की अष्टदली प्रतिमा बनाएं या सूर्यदेव की तस्वीर के सामने पूजा करें.
भगवान भास्कर की पूजा में धूप, दीप, घी का दीपक, लाल पुष्प, अक्षत और लाल चंदन का इस्तेमाल करें.सूर्य देव को लाल रंग की मिठाई का भोग लगाना फलदायी रहेगा
पूजा के बाद किसी ब्राह्मण या गरीब को दान जरूर करें.
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