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Odisha Traditional dishes : जा रहे हैं ओडिशा तो जरूर इन डिशेज को करें ट्राई,जिंदगी भर याद रहेगा स्वाद

Odisha Traditional dishes

Odisha Traditional dishes

Odisha Traditional dishes : भारत का पूर्वी तट पर बसा ओडिशा अपने खूबसूरती, कलाकृतियों, संगीत, नृत्य, तीर्थ स्थलों से समृद्ध इतिहास और संस्कृति के लिए मशहूर है. इन आकर्षणों के अलावा ओडिशा एक और चीज के लिए फेमस है वो है यहां के लजीज उड़िया व्यंजन. यहां का रिजीनल फूड खाने में किता लजीज होता है उससे कई गुना अधिक यह हेल्थी होता है. ऐसे में जब भी आप ओडिशा घूमने जाएं तो इन व्यंजनों को जरूर ट्राई करें. यकीन मानिए आपको इसका स्वाद जीवन भर याद रहेगा.

Odisha Traditional dishes

Odisha Traditional dishes : पखाला

पखाला एक ऐसा व्यंजन है, जिसे गर्मी की दिनों में खाया जाता है. उड़िया लोग गर्मी से राहत पाने और स्वस्थ रहने के लिए इसे खाते हैं. आधुनिक युग में दुनिया भर में पारंपरिक भोजन का जश्न मनाने के लिए हर साल 20 मार्च को ‘पखाला दिवस’ मनाते हैं. इस बात के बारे में कुछ ज्ञात नहीं कि कब पखाला को पूर्वी भारत के आहार में शामिल किया गया, लेकिन यह 10वीं शताब्दी में पुरी सिरका के भगवान जगन्नाथ मंदिर में भोजन के रूप में शामिल किया गया था.

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आपकी जानकी के लिए बता दें उड़िया में पके हुए चावल को पखाला कहा जाता है, जोकि पानी में रातभर फर्मेंट करके रखा जाता है. इस व्यंजन का आधा हिस्सा, पानी/बचा हुआ लिक्विड, तोरानी कहलाता है, जो बहुत ही हेल्दी होता है. इस पारंपरिक पकवान को और भी स्वादिष्ट बनाने के लिए लोग फर्मेंटेड चावल में दही, खीरा, करी पत्ता, जीरा मिलाते हैं. पखाला को तली हुई मछली, मैश किए हुए आलू, तले हुए बैंगन, तले हुए आलू आदि के साथ खाया जा सकता है.

दालमा

भारत में चावल दाल को खूब पसंद किया जाता है. जगह के हिसाब से इसे बनाने का तरीका और स्वाद में बदलाव आता है. उड़िया स्पेशल दालमा को एक बर्तन में पीली दाल और सब्जियों के साथ पकाया जाता है और बाद में इसमें जीरा, हींग, अदरक, लाल मिर्च, घी, आदि जैसे बेहद पोषक तत्वों के साथ तड़का लगाया जाता है. इसे चावल के साथ गरमागरम परोसा जाता है.

चूड़ा घसा

मोटे पीसे पोहे में घी, किसा हुआ नारियल, फल, नट्स, शक्कर आदि मिलाकर तैयार होने वाली यह ओडिसा की पारंपरिक डिश है. जिसे हथेलियों से पोहे को जितना घिसकर बनाया जाता है. यहां के लोग इसेस्नैक्स और प्रसाद (भोग) के रूप में खाते हैं. पुरी के सफर के दौरान रास्ते में एक छोटा-सा गांव है, चंदनपुर, जहां सबसे बेहतर “चूड़ाघसा” मिलता है.

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