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MOMOS खाने के हैं शौकीन तो हो जाएं सावधान,नहीं तो इन गंभीर बीमारियों के हो सकते हैं शिकार

भारत में तेजी से मोमोज (MOMOS) का चालान बढ़ रहा है. नेपाल से शुरू यह नेपाली डिश अब पहाड़ी इलाकों से होते हुए उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, महाराष्ट्र और दिल्ली समेत कई राज्यों में फैल चुका है. शाम होते ही सड़कों पर एक से अधिक दुकानें एक ही जगह पर देखने को मिल जाते हैं और लोग भी ऑफिस से निकाल कर बाहर आते ही पहले इसी का नाश्ता करते हैं. मोमोज देखने में यह चीज भले ही छोटी है लेकिन उतनी ही खतरनाक होती है जो लोगों की जान भी ले रही है. तो वही जानते हैं इसे खाना चाहिए या नहीं खाना चाहिए.

600 साल पुरानी है ये नेपाली डिश MOMOS

मोमोज (MOMOS) को आज लोग बड़े शौक से कहते हैं लेकिन बहुत कम लोगों को ही पता होगा कि यह डिश 600 साल पुरानी है. दरअसल, यह डिश अरुणाचल प्रदेश के मोनपा और शेरदुकपेन जनजाति के खान-पान का हिस्सा हुआ करता था. ये लोग अपने अनुसार इस डिश को तैयार करते थे और इस तैयार करने के लिए कई तरह के सामग्री का इस्तेमाल करते थे. जैसे कि, सबसे पहले मोम को पिसकर हुए या फिर मांस का कीमा, आलू से भी तैयार करते थे. हालांकि आज के समय इसे बनाने वालें लोग अपने अपने तरीके से भर के तैयार करते है. जिसमें मशरूम, मांस, पनीर, सब्जियां, हरी सब्जियों का इस्तेमाल से बनाते है. यहीं वजह है की लोगों की पहली पसद बन चुका है.

कितना प्रोटीन होता है मोमो में ?

अगर मोमोज में पाएं जानें वाले प्रोटीन की तो इसमें 2.4 ग्राम वसा, 1.6 ग्राम प्रोटीन, 0.9 ग्राम फाइबर, 9.6 ग्राम कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है.

इसे खाने से क्या क्या होता है नुकसान?

आज मोमोज (MOMOS) दुनिया भर में मौजूद फास्ट फूड में से लोगों की पहली पसंद बन चुका है. इस बात की जानकारी सभी को है कि मोमोज को मैदे से तैयार किया जाता है. लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती है कि यह उनके शरीर के लिए जैसे कि पाइल्स की समस्या और डायबिटीज की समस्या उत्पन्न करने वाला एक फास्ट फूड है. अगर आप इसको हर रोज खाते हैं तो आपको सावधान होने की जरूरत है क्योंकि यह आपके शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है.

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