Tips for Normal Delivery: बिना किसी दवा और सर्जरी के बच्चों का पैदा होना नॉर्मल डिलीवरी कहलाता है. आज सी- सेक्शन के सबसे ज्यादा उपयोग हो रहे हैं लेकिन यह मां के स्वास्थ्य के साथ-साथ बच्चे के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. नॉर्मल डिलीवरी के दौरान महिलाओं को दर्द सबसे ज्यादा होता है. सी-सेक्शन सर्जरी के बाद नॉर्मल डिलीवरी संभव नहीं होती है.
नॉर्मल डिलीवरी के बाद तेजी से होती है रिकवरी
नॉर्मल डिलीवरी (Normal Delivery) में किसी भी तरह की सर्जरी नहीं की जाती है. सर्जरी नहीं होने के कारण रिकवरी में कम समय लगता है. महिला एक-दो दिन आराम करने के बाद धीरे-धीरे स्वस्थ होने लगती है. सी सेक्शन सर्जरी के रिकवरी में 3 से 6 महीने तक का समय लग जाता है.
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नार्मल डिलीवरी के बाद स्वस्थ रहता है शिशु
नॉर्मल डिलीवरी (Normal Delivery) से के दौरान शिशु के छाती पर दबाव पड़ता है. जिससे शिशु एमनियोटिक फ्लूइड की समस्या से बाहर निकल जाता है. नॉर्मल डिलीवरी से जन्म लेने वाले बच्चों में सांस लेने की समस्या का खतरा कम रहता है. डिलीवरी के दौरान तेज दर्द को मां के साथ-साथ शिशु भी बर्दाश्त करता है.
नॉर्मल डिलीवरी के कई फायदे
• शिशु का मानसिक विकास में तेज़ी आती है.
• महिला को रिकवरी में कम समय लगता है.
• पहले नॉर्मल डिलीवरी होने पर दूसरी बार वेजाइनल वर्थ बढ़ जाती है.
• शिशु को मां का पहला दूध मिल जाता है.
• शिशु को एक से बढ़कर एक बीमारियों का खतरा कम होता है.
नार्मल डिलीवरी से अगली प्रेगनेंसी में आसानी
पहले नॉर्मल डिलीवरी (Normal Delivery) के बाद दूसरी नॉर्मल डिलीवरी होना आसान हो जाता है. दूसरी बार मां बनने पर यूट्राईंन स्कार या प्लेसेंटा प्रक्रिया नहीं होती है. दूसरी डिलीवरी के दौरान वजाइनल वर्थ की संभावना भी बढ़ जाती है.
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