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Joshimath sinking: जानें, जोशीमठ के दरकने की पूरी इनसाइड स्टोरी और कौन है इसका जिम्मेदार ?

Joshimath sinking(Image:Google)

Joshimath sinking(Image:Google)

Joshimath sinking: जोशीमठ दरक रहा है. सैकड़ों लोगों के सिर से आशियाने छिनेंगे ये तय है. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि आखिर बद्रीविशाल की इस आध्यात्मिक नगरी को किसकी नजर लगी.क्यों ये पवित्र शहर तिल तिल कर मरने को मजबूर है,और जब जोशीमठ (Joshimath) ने कमजोर होते दरकते पहाड़ों के बारे में संकेत दिए तो उनकी अनदेखी क्यों की गई.

हालांकि कुछ भी हो वहां के लोग डरे हुए हैं. हर तरफ जमीन फट रही है और घरों में दरारें आ रही हैं. लेकिन इन सब के लिए कौन जिम्मेदार है. कहीं ना कहीं प्रशासन और लोग इसके लिए जिम्मेदार हैं. तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर क्यों दरक रहा है जोशीमठ.

Joshimath sinking(Image:Google)

बहुत ज्यादा हुआ निर्माण

इस धर्मनगरी में हाल के सालों में बेतहाशा कंस्ट्रक्शन किया गया. हर तरफ नई इमारतें बनती चलीं गईं. अवैध इमारतों का भी निर्माण हुआ.कंक्रीट का जंगल खड़ा होता गया लेकिन किसी ने इसकी परवाह नहीं की. मिश्रा कमिटी ने 1976 की रिपोर्ट में कहा था कि यहां कोई बड़ा कंस्ट्रक्शन नहीं होना चाहिये लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

Joshimath sinking(Image:Google)

लगातार कट रहे पेड़

गढ़वाल के कमिश्नर रहे एस सी मिश्रा की अध्यक्षता वाली कमेटी ने 1976 में ही अपनी रिपोर्ट में साफ कहा था कि इलाके से पेड़ किसी भी सूरत में नहीं काटे जानें चाहिए. लेकिन इस सिफारिश को नजरअंदाज कर दिया गया.

Joshimath sinking(Image:Google)

सड़कों का हुआ चौड़ीकरण

सुविधाजनक तरीके से जोशीमठ तक पहुंचने के लिए पूरे इलाके में सालों से सड़कों का निर्माण जारी है. इसके लिए पहाड़ और चट्टाने काटी जा रही हैं. लेकिन आरोप है कि ये सारा काम अवैज्ञानिक तरीके से हो रहा है. इसकी वजह से पहाड़ दरक रहे हैं. ऑल वेदर रोड के तहत जोशीमठ के निचले इलाके से बाइपास निकाला जा रहा है.

Joshimath sinking(Image:Google)

ड्रेनेज सीवेज व्यवस्था हो सकती है कारण

2022 में एनडीएमए के अधिशासी निदेशक डॉ. पीयूष रौतेला के निर्देशन पर एक टीम ने जोशीमठ का सर्वे किया था.इस टीम ने शोध के बाद पाया कि जोशीमठ के नीचे अलकनंदा में कटाव हो रहा है.साथ ही साथ ही सीवेज और ड्रेनेज की व्यवस्था सही तरीके से नहीं होने पर पानी जमीन के नीचे समा रहा है.इससे जमीन लगातार धंस रही है.लेकिन इस पर शायद किसी ने तब ध्यान नहीं दिया.जिसका खामियाजा आज लोगों को उठाना पड़ रहा है.

Joshimath sinking(Image:Google)

हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट

भले ही प्रशासन और सरकार खुले तौर पर स्वीकार न करें कि एनटीपीसी के हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट की वजह से जोशीमठ खतरे में आया लेकिन स्थानीय लोग इसको जिम्मेदार मानते हैं. असल में 520 मेगावाट प्रोजेक्ट की टनल जोशीमठ के नीचे से गुजर रही है. माना जा रहा है कि इसकी वजह से जोशीमठ कमजोर हुआ.कुल मिलाकर ये शहर इंसानी गलती का ही खामियाजा भुगतने को मजबूर हैं.

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