Joshimath Sinking: जोशीमठ का वजूद खतरे में है.वजह कुदरत की बेरुखी हो या फिर पहाड़ पर क्षमता से ज्यादा बोझ.जिस तरह की तस्वीरें सामने आ रहीं हैं उससे तो यही लग रहा है.जोशीमठ धीरे धीरे तबाही के मुहाने पर जा रहा है. जी हां जोशीमठ की धरती तेजी से धंसती जा रही है.इसकी पुष्टि ISRO की सैटेलाइट तस्वीरों से हो गई है.जो तस्वीरें सामने आईं हैं, उनसे किसी अनहोनी के संकेत मिल रहे हैं.बता दें इन तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि, कैसे जोशीमठ धीरे धीरे खिसक रहा है.इसरो ने जो तस्वीर जारी की हैं, उसमें महज 12 दिनों में जोशीमठ पूरा 5.4 सेंटीमीटर नीचे धंस गया है.यानी 27 दिसंबर 2022 से लेकर 8 जनवरी के अंदर जोशीमठ इतना धंस गया है.
इन तस्वीरों के सामने आते ही सभी के माथे पर चिंता की लकीरें दिख रहीं हैं. इससे पहले भी 2022 में अप्रैल और नवंबर महीने के बीच जोशीमठ 9 सेंटीमीटर धंस गया था. ये धंसाव काफी धीमा था.लेकिन अब जो तस्वीरें सामने आईं हैं उनमें ये प्राकृतिक घटना काफी तेजी से हो रही है.तस्वीरों में जहां पर धंसाव हो रहा है वो आर्मी हेलीपैड और नरसिंह मंदिर सहित सेंट्रल जोशीमठ का क्षेत्र है. कोशिश यही है कि जोशीमठ को गुम होने से बचा लिया जाए और इस पूरी कोशिश में यहां रहने वाले बाशिंदों का कम से कम नुकसान हो.
कुदरत की ताकत से मुकाबला तो नहीं किया जा सकता लेकिन यहां रहने वाले लोगों की हिफाजत की कवायद तेज़ हो गई है. जब जमीन में दरारें आ गईं,तो इंसानों की इस बस्ती का खाली करना जरूरी हो गया.लोगों को सुरक्षित स्थान पर भेजा गया है. जोशीमठ को बचाने की मुहिम में राज्य सरकार और केंद्र सरकार की टीमें लगातार जुटी हैं. लोगों को महफूज ठिकानों पर भेज दिया गया है और इमारतों को भी पूरे एहतियात के साथ तोड़ा भी जा रहा है.
लेकिन बड़ा सवाल यही है कि आखिर इन सब का जिम्मेदार कौन है.क्या हमने कुदरत के साथ खिलवाड़ किया जिसका खामियाजा हमें आज भुगतना पड़ रहा है.अगर अब भी हम समय रहते नहीं जागे तो हमारी आने वाली पीढ़ी को इससे ज्यादा खामियाजा भुगतना पड़ेगा.
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