Bageshwar Dham: बागेश्वर धाम सरकार(Bageshwar Dham) के धीरेंद्र शास्त्री भक्तों के बीच बागेश्वर सरकार-आधा ईश्वर और आधा डाक्टर के नाम से मशहूर हैं.लेकिन अब बागेश्वर धाम के पाठाधीस धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendra Shastri)को लेकर देशभर में बवंडर खड़ा हो चुका है. मतलब ये अब खुल्लम खुल्ला बाबा के सपोर्टर और बाबा के विरोधी आमने-सामने आ गये हैं. अर्जी पर पर्ची वाला चमत्कारी बाबा के समर्थन में दिल्ली से लेकर दूसरे शहरों में प्रदर्शन हो रहे हैं.
बागेश्वर बाबा को लेकर किए जाने वाले दावों को दो चश्मों से देखा जा रहा हैं, पहला चश्मा है, बाबा को मानने वाले अनुयायियों का, जो इसे दिव्य शक्ति और पहुंची हुई सिद्धि से जोड़कर देख रहे हैं, वही तर्कशास्त्री से लेकर माइंड रीडर इसे सिद्धि या दिव्य शक्ति नहीं बल्कि हाथों की सफाई मान रहे हैं. मतलब लड़ाई आस्था बनाम तर्क की है.पर क्या है आप जानते हैं कि आखिर जिनके नाम पर इतना बवाल मचा है वो हैं कौन. तो चलिए आपको बताते है कि उनकी पूरी कहानी.
कौन हैं बागेश्वर धाम(Bageshwar Dham) के पंडित धीरेंद्र शास्त्री ?
पंडित धीरेंद्र शास्त्री का जन्म 1996 में छतपुर जिले के गढ़गंज गांव में हुआ था. लोगों की माने तो उनका बचपन काफी मुश्किलों भरा बीता है. उनके घर की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि उन लोगों को एक टाइम ही भोजन नसीब होता है.आपको बता दें कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री छोटी उम्र से बालाजी बागेश्वर धाम में पूजा किया करते थे.
धीरेंद्र शास्त्री का पूरा परिवार आज भी गाड़ागंज में निवास करता है. उनके पिता का नाम रामकृपाल गर्ग है और माता का नाम सरोज गर्ग. वहीं धीरेंद्र के छोटे भाई का नाम शालिग्राम गर्गजी महाराज है. वो भी बालाजी बागेश्वर धाम की सेवा करते हैं.लोगों की माने तो धीरेंद्र शास्त्री के दादा जी पंडित भगवान दास गर्ग इस मंदिर के पुजारी थे.
क्या है बागेश्वर धाम का इतिहास
मध्यप्रदेश के पास छतरपुर जगह है गढ़ा यहां पर बालाजी हनुमान जी का एक भव्य मंदिर बना हुआ है. इस मंदिर में हर मंगलवार भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. कई साल बीतने पर यहां पर आने वाले लोग इसे बागेश्वर धाम सरकार के नाम से पुकारने लगे. तो इसका नाम बागेश्वर धाम पड़ गया. ये मंदिर सैकड़ों साल पुराना है. 1986 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया. 1987 में यहां पर एक बाबा जी आएं जिन्हें लोग भगवान दास जी महाराज के नाम से जानते हैं. पंडित धीरेंद्र शास्त्री उनके पोते हैं.
एक तरफ बागेश्वर सरकार के समर्थन में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, तो दूसरी तरफ बाबा.को निशाना बनाकर सियासी हमले तेज हो गये हैं.मतलब ये कि बागेश्वर धाम अब राज- नीति के फंदे में पूरी तरह फंस गए है. राजनीति गलियारे में भी आस्था बनाम अंधविश्वास की जंग शुरू हो गई
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