Husband Property: भारत में आज के समय अधिकतर लोग मानते हैं कि शादी के बाद लड़की का ससुराल नहीं उसका सब कुछ होता है. यह बात तो सही है. शादी के बाद घर की बेटी अपने घर के साथ-साथ घर के परिवार माता-पिता और भाई-बहन को छोड़कर ससुराल अपने पति के साथ पति के परिवार के साथ जीवन बिताती है. लेकिन इस सामाजिक और कानूनी रूप से विवाह के बाद महिला को कुछ विशेष अधिकार भी मिल जाते हैं. अब ऐसे मेरे सवाल आता है कि क्या पति की संपत्ति (Husband Property) पर शादी होते ही महिला का हक हो जाता है? तो आईए जानते हैं क्या कहता है हमारा कानून?
क्या है नियम ?
दरअसल, किसी भी संपत्ति का उत्तराधिकारी होने के लिए भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम और मुस्लिम पर्सनल लॉ के महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है. इन्हीं के आधार पर तय किया जाता है कि, संपत्ति में किस व्यक्ति का कितना और किसका हक है. अब इस कानून के तहत देखा जाए तो सिर्फ शादी के बाद ही महिला की को पुरुष की संपत्ति पर हक नहीं मिलता है. लेकिन ये कई परिस्थितियों पर निर्भर होता है.
इस नियम को जानना बेहद जरूरी
भारतीय कानून के मुताबिक, पति के जीवित रहने तक उसके द्वारा कमाई गई संपत्ति (Husband Property) पर पत्नी का कोई अधिकार नहीं माना जाता है. अगर पति की मृत्यु हो जाती है तो उसे संपत्ति की दावेदार उसकी पत्नी होती है. लेकिन अगर मरने से पहले पति के द्वारा कोई वसीयत लिखी गई है, तो उसके आधार पर संपत्ति का उत्तराधिकारी तय होता है. यानी कि अगर वसीयत में पत्नी का नाम नहीं है तो उसे संपत्ति से वंचित रहना पड़ेगा. वहीं कानून यह भी कहता है कि तलाक या पति-पत्नी के अलग होने की स्थिति में पति को अपनी पत्नी के भरण पोषण के लिए यानी गुजारा करने के लिए पैसे देने पड़ते हैं.
ससुराल की संपत्ति पर किसका अधिकार
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 8 के अनुसार, एक महिला का उसके ससुराल की संपत्ति पर जब तक हक नहीं होता है. जब तक उसके साथ ससुर या पति की मृत्यु नहीं हो जाती है. वहीं अगर ससुराल में पति की मौत होती है, तो उसकी दावेदार उसकी पत्नी हो जाती है. अगर पैतृक संपत्ति है तो उसकी दावेदार पत्नी नहीं होगी. लेकिन पति के नीचे की दावेदार जरूर हो सकती है.
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