Budget 2023: देश का 2023 का आम बजट कल 1 फरवरी को पेश होने वाला है. इस बजट को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) पेश करेंगी. ये बजट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के लिए भी बेहद खास है क्योंकि वर्ष 2024 में देश में आम चुनाव होने हैं. मोदी सरकार का ये आखिरी पूर्ण बजट दिखाएगा कि उनकी झोली में देश के लोगों के लिए क्या-क्या है और उन्होंने देश के हर वर्ग का कितना ख्याल रखा है. लेकिन आज हम आपको रेल बजट के बारे में बताने जा रहे हैं जो आम बजट से पहले रेल मंत्री द्वारा देश के समक्ष प्रस्तुत किया जाता था लेकिन इस परंपरा को मोदी सरकार ने क्यों और कब बदल दिया,आइए आपको बताते हैं.
2017 में रेल बजट को अलग से पेश करने की परंपरा हुई खत्म
वर्ष 2017 से पहले रेल बजट (Rail Budget) को आम बजट से अलग प्रस्तुत किया जाता था. इस बजट में भारतीय रेलवे से जुड़ी महत्वपूर्ण योजनाओं,आदि की जानकारी होती थी. लेकिन 2017 में नरेंद्र मोदी सरकार ने रेल बजट का आम बजट में विलय कर दिया. बताया जाता है कि केंद्र सरकार ने आम बजट में रेल बजट को विलय नीति आयोग के परामर्श के आधार पर किया था.
1924 से शुरू हुआ था अलग रेल बजट
बता दें देश में वर्ष 1924 से अलग रेल बजट प्रस्तुत करने की परंपरा शुरू हुई थी. इस बजट को आम बजट पेश होने से 1 दिन पहले प्रस्तुत किया जाता था. लेकिन 2017 में केंद्र की सरकार ने अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही 92 साल पुरानी अलग रेल बजट की परंपरा को खत्म कर दिया. पिछले 4 सालों से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ही आम बजट के साथ रेल बजट को पेश कर रही हैं.
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